आमतौर पर लोगों को लगता है कि शादी के (Married People Mental Health) बाद जीवन में तनाव और डिप्रेशन (Stress And Depression) जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं, हालांकि इसपर हुए एक रिसर्च में दिलचस्प बातें सामने आई हैं. दरअसल शादीशुदा और सिंगल (Unmarried People Mental Health) लोगों के मेंटल हेल्थ को लेकर हाल ही में एक रिसर्च हुआ है, जो बताती है कि कौन से रिश्ते में रहना डिप्रेशन के खतरे को कम कर सकता है या फिर बढ़ा सकता है. इस अध्ययन के नतीजे चौंकाने वाले हैं, आइए जानते हैं इसके बारे में..
शादीशुदा या सिंगल, किन लोगों को होता है डिप्रेशन का ज्यादा खतरा?
स्टडी के मुताबिक शादीशुदा लोगों में तनाव और डिप्रेशन का स्तर कम होता है और अविवाहित लोगों में इन मानसिक समस्याओं का खतरा अधिक पाया होता है. स्टडी के मुताबिक अविवाहित लोगों में अकेलेपन का भाव अधिक होता है और इसके कारण तनाव और डिप्रेशन की संभावना बढ़ जाती है.
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वहीं दूसरी ओर शादीशुदा जीवन में साथी से मिलने वाला सहयोग और साथ व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है. साथ ही शादीशुदा जीवन में लोग अपनी समस्याओं को एक-दूसरे के साथ शेयर करते हैं और एक-दूसरे का संबल बनते हैं, जिससे ये समस्याएं कम होती हैं.
अविवाहित लोगों में तनाव
शादी का बंधन केवल दो लोगों का मिलन नहीं, बल्कि एक इमोशनल सपोर्ट का सोर्स भी होता है, जो हर किसी के लिए जरूरी होता है. अमूमन अविवाहित लोग अपने जीवन में अकेलापन महसूस करते हैं, जो एक लंबे वक्त के बाद मानसिक समस्याएं पैदा करने लगता है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि शादीशुदा जीवन में परिवार और बच्चों का साथ भी व्यक्ति की मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाने में मदद करता है.
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क्या कहती है स्टडी?
इस स्टडी में अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों को शामिल किया गया और उनकी मानसिक स्थिति का विश्लेषण किया गया, जिसके नतीजों से पता चला कि शादीशुदा लोग खासतौर से जो अपने संबंधों में खुश हैं, ऐसे लोग तनाव और डिप्रेशन का सामना कम करते हैं. इसके अलावा दूसरी तरफ अविवाहित लोगों में डिप्रेशन का लेवल अपेक्षाकृत अधिक पाया गया है.
क्या करें?
मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना सिंगल लोगों के लिए महत्वपूर्ण है. इसके लिए अपने सामाजिक नेटवर्क को मजबूत करें, दोस्तों और परिवार से जुड़ाव बढ़ाएं. इसके अलावा नए शौक अपना सकते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक अकेलेपन को दूर करने के लिए व्यक्ति को अपनी रुचियों और एक्टिविटी में संलग्न रहना चाहिए. इसके अलावा नियमित योग, ध्यान और एक्सरसाइज करने से भी मानसिक सेहत दुरुस्त रहती है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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