Sleep Deprivation: नींद की कमी से हो सकती है दिमाग को कमजोर और खोखला बना देने वाली ये बीमारी, ऐसे करें बचाव

Written By Abhay Sharma | Updated: Jan 07, 2024, 11:13 AM IST

Sleep Deprivation

Sleep and Cognitive Health: अपर्याप्त नींद डिमेंशिया का रिस्क फैक्टर है. आइए जानते हैं नींद में कमी का डिमेंशिया से क्या कनेक्शन है और इससे कैसे बचा जाए..

डीएनए हिंदीः  आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और गड़बड़ लाइफस्टाइल  के कारण कई तरह की गंभीर बिनारियों का जोखिम बढ़ जाता है और इसके कारण लोगों को नींद न आने जैसी समस्या होने लगती है. इसका एक कारण डिमेंशिया (Sleep Deprivation) हो सकता है. बता दें कि  रिपोर्ट्स के मुताबिक़ दुनिया भर में वर्तमान में 55 मिलियन (5.5 करोड़) से अधिक लोग हैं, जो डिमेंशिया की समस्या से जूझ रहे हैं. बता दें कि शोधकर्ता इस न्यूरोलॉजिकल (Sleep and Cognitive Health) बीमारी के विकास के खतरे को कम करने के और तरीके खोजने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. कई शोधकर्ताओं का यह मानना है कि अपर्याप्त नींद डिमेंशिया के लिए एक परिवर्तनीय रिस्क फैक्टर है. आइए जानते (Dementia) हैं क्या है ये बीमारी और कैसे किया जा सकता है इससे बचाव. साथ ही जानेंगे क्या है नींद में खलल से डिमेंशिया का कनेक्शन और क्यों बढ़ रहा इस बीमारी का खतरा...

तेजी से बढ़ रहा है डिमेंशिया

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हाल ही में हुए एक अध्ययन में और अधिक प्रमाण मिले हैं कि 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए प्रत्येक वर्ष गहरी नींद में 1% की कमी (जिसे धीमी गति वाली नींद भी कहा जाता है) से डिमेंशिया विकसित होने का खतरा 27% बढ़ जाता है. बता दें कि यह अध्ययन हाल ही में JAMA न्यूरोलॉजी में प्रकाशित हुए थे. इसके अलावा इस अध्ययन के लिए मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया) में मोनाश यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने फ्रामिंघम हार्ट स्टडी में नामांकित 60 वर्ष से अधिक उम्र के 346 अध्ययन प्रतिभागियों के डेटा की जांच की. 

Liver Detox Drink: ये डिटॉक्स ड्रिंक लिवर में जमा सारी गंदगी कर देगा बाहर, शरीर की अंदर से हो जाएगी सफाई

इसमें शामिल किए गए सभी प्रतिभागियों पर दो रात भर की नींद का अध्ययन पूरा किया था, जिसमें प्रत्येक नींद अध्ययन के बीच लगभग पांच साल का अंतर था.

क्या है नींद का डिमेंशिया से कनेक्शन

बता दें कि इस स्टडी के मुताबिक करीब 46 प्रतिशत लोगों को खराब नींद की समस्या थी. इसके लिए स्लीप सर्वे को तीन समूहों में विभाजित किया गया और पाया गया कि सबसे खराब स्लीप क्वालिटी वाले लोगों में से 44 लोगों की कॉग्निटिव परफॉरमेंस खराब थी और इसकी तुलना में सबसे कम बाधित नींद वाले लोगों की कॉग्निटिव हेल्थ, खराब क्वालिटी की नींद वाले लोगों की तुलना में बेहतर थी. दरअसल खराब नींद वाले लोगों में कॉग्निटिव डिक्लाइन का खतरा अधिक बढ़ जाता है.

प्रेग्नेंसी के नौवें महीने में होने वाले इन समस्याओं को हल्के में न लें महिलाएं, तुरंत कराएं जांच

बेहतर नींद के लिए अपनाएं ये टिप्स

इसके लिए अपने सोने और जागने का समय फिक्स करें,  इससे इंटरनल बॉडी क्लॉक को उस समय पर सोने और जागने की आदत लगेगी. साथ ही अपने कमरे में सोते समय अंधेरा करके सोएं. क्योंकि लाइट की वजह से नींद न आने या नींद में बार-बार बाधा आने की समस्या होती है. इसके अलावा सोने से पहले कॉफी, अल्कोहल आदि का सेवन न करें. क्योंकि इससे आपकी स्लीप साइकिल डिस्टर्ब हो सकती है. ध्यान रहे कि सोने से पहले फोन या कोई अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल न करें.

(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.