Mpox के बाद अब 'Sloth Fever' ने बढ़ाई टेंशन, आप भी जान लें क्या है ये नई बीमारी 

Abhay Sharma | Updated:Aug 23, 2024, 01:28 PM IST

 Sloth Fever Symptoms

Mpox बढ़ते मामलों के बीच अब 'Sloth Fever' लोगों की चिंता बढ़ा रहा है. यूरोपीय देशों में इस नए किस्‍म के आलसी बुखार का कहर तेजी से बढ़ रहा है...

दुनिया के कई देशों में Mpox के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसके बढ़ते प्रकोप को देखते हुए WHO ने मंकीपाॅक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है. Mpox बढ़ते मामलों के बीच अब 'स्लॉथ फीवर' लोगों की चिंता बढ़ा रहा है. स्लॉथ फीवर (Sloth Fever) को 'आलसी बुखार' के नाम से भी जाना जाता है, हालांकि इसका आलसियों के संपर्क से कोई लेना-देना नहीं है. ऐसे में आइए जान लेते हैं क्या है नए किस्‍म का ये 'आलसी बुखार', यह कैसे फैलता है और इसके लक्षण (Sloth Fever Symptoms) व बचाव के उपाय क्या हैं? 

क्या है Sloth Fever?
बता दें कि यूरोपीय देशों में इस बीमारी का प्रकोप काफी ज्यादा बढ़ गया है, ऐसे में अंतरराष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी ने स्लॉथ फीवर को लेकर चेतावनी जारी की है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक स्लॉथ फीवर ओरोपाउचे वायरस के कारण होता है, जिसे ओरोपाउचे वायरस रोग या ओरोपोउ बुखार के रूप में जाना जाता है. 


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यह वायरस एक ऑर्थोबुन्या वायरस है और यह वायरस के एक अलग परिवार से लेकर फ्लेविवायरस (जिसमें डेंगू, जापानी एन्सेफलाइटिस और मरे वैली एन्सेफलाइटिस वायरस शामिल हैं) और अल्फावायरस (चिकनगुनिया, रॉस रिवर और बरमाह फॉरेस्ट वायरस) से है.

पहली बार ओरोपाउचे वायरस की पहचान 1955 में हुई थी और इसका नाम त्रिनिदाद और टोबैगो के एक गांव से लिया गया है, जहां इसकी पहली बार अलग पहचान करने वाला शख्स रहा करता था. 

क्या दिखते हैं इसके लक्षण?  

इसके अलावा कभी-कभी एन्सेफलाइटिस और मेनिनजाइटिस (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास की झिल्लियों की सूजन) सहित गंभीर लक्षण रिपोर्ट किए गए हैं.


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कैसे फैलती है ये बीमारी? 
बता दें कि ओरोपाउच वायरस का अच्छी तरह से अध्ययन नहीं किया गया है. ऐसे में पूरी तरह से समझ पाना मुश्किल है कि यह वायरस कैसे फैलता है. अब तक के अध्यन में यह बात सामने आई है कि यह वायरस मुख्य रूप से खून पीने वाले कीड़ों, विशेष रूप से काटने वाले मिज (विशेष रूप से क्यूलिकोइड्स पैराएन्सिस) और मच्छरों (संभवतः कई एडीज, कोक्विलेट्टिडिया और क्यूलेक्स प्रजातियों) से फैलता है.

बचाव है जरूरी
बता दें कि इस बीमारी को गंभीरता से लेने की जरूरत है, क्योंकि अभी तक इसकी कोई वैक्सीन नहीं है. ऐसे में इस बीमारी की चपेट में आने से खुद को बचाना ही सबसे सुरक्षित रास्ता है. इस वायरस से संक्रमित मक्खी और मछरों के कारण व्यक्ति इस गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकता है. ऐसे में इनसे बचाव करना बेहद जरूरी है. 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)

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