Cause of Warts: छोटे मस्‍से और स्किन का कालापन, इन दो गंभीर बीमारियों का है संकेत

Written By ऋतु सिंह | Updated: Jul 17, 2022, 07:38 AM IST

गर्दन पर काले धब्बे या छोटे मस्से इस बीमारी का हैं संकेत

Cause Of Black Skin and Moles: क्‍या आपके गर्दन पर काले धब्‍बे या लकीर सी बन रहे हैं? या छोटे-छोटे मस्‍से बनने लगे हैं तो ये 2 गंभीर बीमारियों का संकेत दे रहे हैं.

डीएनए हिंदी: गर्दन से लेकर अंडरआर्म्‍स (Neck to Underarms) तक में कई बार कालापन (Blackness) दिखता है. अमूमन लोग इसे सामान्‍य मानते हैं. ये कालापन अगर हमेशा से रहा है तो बात अलग है लेकिन अचानक से इसमें कालापन बढ़ने लगे तो इसे नार्मल समझने की भूल न करें.

वहीं अगर इस कालेपन के साथ ही छोटे-छोटे से मस्‍से यानी टैग्‍स (Tags) की संख्‍या भी बढ़ रही तो अपने ब्‍लड शुगर (Blood Sugar) की जांच जरूर करा लें. ये दोनों ही लक्षण तब नजर आते हैं जब शरीर में ब्‍लड शुगर हाई होता है. 

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गर्दन की स्किन पर टैग और कालपन यानी झाइयों का इंसुलिन रेजिस्‍टेंटस से सीधा संबंध है. ये दोनों ही संकेत बताते हैं कि आप डायबिटीज की ओर जा रहे हैं. बता दें कि स्किन पर बनने वाले ये टैग्‍स गर्दन के साथ ही आंखों के आसपास भी नजर आने लगें तो ये हाई कोलेस्‍ट्रॉल का भी संकेत देते हैं. 

गर्दन के पीछे और अंडरआर्म्स पर दाग धब्‍बे या पिग्मेंटेशन इंसुलिन रेजिस्टेंस की वजह से होते हैं और अगर टैग्‍स भी है तो इसका मतलब है कि इंसुलिन रेजिस्‍टेंटस या हाइपरट्राइग्लिसराइडिमिया है.

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क्‍या है इंसुलिन रेजिस्टेंस?
खाना पेट में जाने के कई घंटों के बाद टूटता है और ग्लूकोज में बदल कर ब्‍लड में मिल जाता है. तब ब्‍लड में इंसुलिन नामक हार्मोन है इस ग्‍लोकोज को मैनेज करने का काम करता है. लेकनि जब इंसुलिन सही तरीके से ब्‍लड शुगर को कंट्रोल नहीं कर पता है तब इंसुलिन रेजिस्टेंस कहा जाता है. ऐसे में खाना टूटने के बाद ग्लूकोज में जब बदलता है तो वह  सेल्‍स में प्रवेश नहीं कर सकता है और इसलिए ब्‍लड में बनता है और टाइप 2 डायबिटीज हो जाता है. 


इंसुलिन ग्लूकोज तेज को उत्तेजित करता है, लिपोजेनेसिस बढ़ाता है, और लिपोलिसिस को रोकता है. इससे डायबिटीज और ब्‍लड में ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने लगत है. इंसुलिन केराटिनोसाइट्स और मेलानोसाइट्स को भी उत्तेजित करता है और इसी के चलते डार्क स्किन और स्किन टैग होने लगते हैं. 

इंसुलिन रेजिस्टेंस को रोकने के उपाय
डाइट पर कंट्रोल करना होगा और चीनी, ब्रेड, बेकरी प्रोडक्‍ट्स जैसे प्रोसेस्‍ड फूड्स बंद करने होंगे. वहीं, साबुत अनाज और अनाज जैसे दलिया, बाजरा, ज्वार, छोले, राजमा आदि की मात्रा बढ़ानी होगी. साइट्रस फल जैसे नींब, संतरा सेब आद‍ि खाएं. हरी पत्‍तेदार सब्जियां और प्रोटीन के लिए  नट्स और बीजों लें.  लो ग्लाइसेमिक डाइट को फॉलो करें और कम से कम रोज 45 मिनट एक्‍सरसाइज करें. 
 


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