Heart Disease: पैरों की हालत बता देगी दिल का हाल, ऐसे पहचानें अ‍टैक के खतरे को

Written By ऋतु सिंह | Updated: Jul 22, 2022, 05:32 PM IST

Heart Disease: पैरों से भी बयां होता है बीमार दिल का दर्द, दिखें ऐसे लक्षण तो हो जाएं सचेत

दिल (Heart) समस्या को लेकर हमारा शरीर अलग-अलग तरीके से हमें संकेत देता है. इनमें से एक है पैरों में होने वाली सूजन (Leg Swelling) . अगर ये समस्या आपको लगातार बनी रहती है तो तुरंत डॉक्टर से मिलने की जरूरत है.

डीएनए हिंदी: हमारे शरीर में खून दौड़ाने की जिम्मेदारी हमारे दिल की है. इसमें अगर किसी तरह की बाधा पैदा हो रही है, तो ये दिल की बीमारी होने का संकेत है. हमारा शरीर हमें संकेत देता है कि हमारे दिल की सेहत कैसी है. कुछ मामलों में इसे मैनेज किया जा सकता है, जबकि कुछ मामलों में ये जानलेवा साबित होता है. आइए आपको बताते हैं कि हमें किन संकेतों को समझ कर समय से उनके बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. 

गौर करें कि क्या जूते मोजे उतारते समय आपको अपने पैरों में मोजे के निशान बने हुए मिलते हैं. अगर ऐसा है तो ये पेरिफेरल ओइडेमा का लक्षण हो सकता है. पेरिफेरल ओइडेमा को आम भाषा में समझें तो इसमें हमारे पंजों और पैरों में पानी इकट्‌ठा होने लगता है. इस वजह से पैरों में सूजन आ जाती है. ये दिल की समस्या से भी जुड़ा हो सकता है. इसके चलते हार्ट फेल्योर की आशंका बनी रहती है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जब हार्ट उचित तरीके से पंप नहीं कर पाता, तो फ्लूइड के ब्लड वेसल्स से लीक होने और उनके आसपास के टिशूज में जमा होने की आशंका रहती है. 

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हालांकि ज्यादातर लोग जो पेरिफेरल ओइडेमा से ग्रस्त होते हैं उन्हें हार्ट डिजीज नहीं होती, लेकिन ये कार्डियोवैस्कुलर समस्याओं का संकेत हो सकता है. अगर पैरों में सूजन की समस्या लगातार बनी रहती है तो ये इशारा है कि आपका हार्ट अच्छी तरह से काम नहीं कर रहा है. इसका मतलब कि हार्ट इतना कमजोर हो चुका है कि वह उचित तरीके से पंप नहीं कर पा रहा. 

हार्ट फेल्योर के ये हैं संकेत 
- लगातार खांसी बनी रहना
- सांस लेने में घरघराहट 
- ब्लोटिंग यानी पेट फूलना
- भूख न लगना
- वजन बढ़ना
- वजन घटना 
- कंफ्यूजन 
- दिल की धड़कन तेज होना

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हार्ट फेल्योर क्यों हो सकता है 

एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोविड-19 के चलते शरीर के कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम प्रभावित होता है, जिसके चलते  भविष्य में हार्ट फेल्योर के आंकड़े बढ़ सकते हैं. एक स्टडी के मुताबिक हल्के कोविड लक्षण वाले मरीजों में 72 फीसदी हार्ट फेल्योर का रिस्क रहता है. इसकी चपेट में किसी भी उम्र का शख्स आ सकता है. इसके अलावा मोटापा, हाइपरटेंशन, डायबिटीज, गंभीर किडनी समस्या और हाइपरलिपिडमिया से ग्रस्त लोग भी आ सकते हैं. 

यही नहीं, एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि जिन्हें हृदय रोग नहीं है, वे भी कोविड-19 से संक्रमित होने के चलते हृदय रोग से पीड़ित हो सकते हैं. 

कैसे करें बचाव
एक्टिव जीवनशैली अपनाएं, कसरत करें, पैदल चलें, सीढ़ियां चढ़ें, तला-भुना खाने से बचें, शराब का सेवन कम करें और स्मोकिंग बिल्कुल छोड़ दें. समय समय पर अपना चेकअप कराते रहें और अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें. 

Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.) 


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