Imposter Syndrome: क्या आप भी खुद को असफल-Fraud मानते हैं तो इस बीमारी के बारे में जानिए, क्या है इसका इलाज

सुमन अग्रवाल | Updated:Aug 11, 2022, 06:13 PM IST

Imposter Syndrome के बारे में सुना है आपने, यह कोई शारीरिक बीमारी नहीं है बल्कि मन से दिमाग से विचारों से जुड़ी समस्या है. जानिए क्या हैं इसके लक्षण और कैसे आप इससे निजात पा सकते हैं.

डीएनए हिंदी :आज के समय में हर कोई नेगेटिव विचारों (Negative Thoughts) से इतना घिरा हुआ है कि वह अपने बारे में भी सिर्फ गलत धारणाएं ही बनाता है, जैसे वह कुछ नहीं कर सकता, उसका जीवन बेकार है और वो एक नाकाम व्यक्ति है. दूसरे अच्छे और सफल हैं, दूसरे ज्यादा सक्षम हैं. (Doubt on own Achievements) हालांकि यह सोच उसकी खुद की बनाई हुई है.इसी तरह की मनोवौज्ञानिक (Psychology) समस्या को इंपोस्टर सिंड्रोम (Imposter Syndrome) कहते हैं. जिसमें व्यक्ति खुद को कम आंकता है और दूसरों को ज्यादा काबिल समझता है. चलिए इस सिंड्रोम को और अच्छे से समझते हैं और इसके समाधान पर बात करते हैं. 

क्या है इंपोस्टर सिंड्रोम (What is Imposter Syndrome)

इस सिंड्रोम (Imposter syndrome) का शिकार हर उम्र का व्यक्ति हो सकता है. दरअसल यह मन में उठने वाला एक तरीके का भ्रम है जो हर किसी को हो सकता है. आपको बता दें की लगभग 70 प्रतिशत लोगों के साथ ऐसा होता है, यह एक मनोवैज्ञानिक घटना है,जिसे इम्पोस्टर सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है. यह किसी भी व्यक्ति के विश्वास को दर्शाता है कि वह खुद पर कितना यकीन करता है. यह किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व,परिस्थिति और उसके हालात के आधार पर देखा जाता है. अगर आप अपने आस-पास के लोगों को देख कर ऐसा सोचते हैं तो आपको ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि दुनिया में सभी प्रकार के लोग होते हैं और सबका जीने का तरीका अलग होता है. सभी के लिए सफलता के माइने अलग होते हैं. जब व्यक्ति खुद की सफलता पर ही डाउट करने लगता है या फिर खुद को ही धोखाबाज कहता है, तब इस समस्या पर गौर करने की ज्यादा जरूरत हो जाती है.

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कब मिला था यह सिंड्रोम 

मनोवैज्ञानिकों (Psychologists) ने पहली बार 1978 में इम्पोस्टर सिंड्रोम के बारे में बताया था.साल 2020 की एक समीक्षा के मुताबिक 9 से 82 फीसदी लोग जिंदगी में कभी न कभी इम्पोस्टर सिंड्रोम का अनुभव करते हैं.आखिर कैसा अनुभव करता है इस सिंड्रोम का मरीज,उसकी पहचान कैसे हो सकती है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है.यह बहुत ही आम तरह की समस्या है जो कई बार ज्यादा गंभीर हो जाती है लेकिन अपनी सोच और लाइफस्टाइल से हम इससे निजात पा सकते हैं.

मेडिकल न्यूज टूडे के मुताबिक इस सिंड्रोम से ग्रस्त शख्स को धोखेबाज होने का एहसास होता है.उसे लगता है कि उसने कुछ गलत किया है और कोई उसकी गलती को पकड़ सकता है.इस बात से वह हमेशा डरा-डरा महसूस करता है.यही नहीं उसे खुद पर विश्वास नहीं रहता, कमजोर लगता है. आत्मविश्वास खत्म हो जाता है, कुछ नया करने की इच्छा नहीं रहती. सामने वाला ही बड़ा नजर आता है. इससे उसके साथ साथ आस-पास के लोगों की भी जिंदगी प्रभावित होती है 

लक्षण (Symptoms)

आत्मविश्वास में कमी
किसी भी काम को करने से पहले मन में डर रहना
हमेशा खुद पर संदेह होना
ज्यादातर सोच में डूबे रहना
नकारात्मक बातें करना
मन में हारने की उम्मीद रहना 
सफल होने पर खुश नहीं होना
हमेशा डर लगना 
सही-गलत समझ न आना 
खुद से प्यार में कमी 
 
ये सभी लक्षण इंपोस्टर सिंड्रोम को दर्शाता हैं लेकिन इसमें से एक भी कारण या लक्षण ऐसे नहीं हैं जिनको ठीक ना किया जा सके. 

इलाज या उपाय (Treatment and Simple Tips to get rid from Imposter Syndrome)

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अपने साथ समय बिताएं

अगर आप अपने साथ समय बिताएंगे तभी खुद को जान पाएंगे. अपनी काबिलियत और आप क्या कर सकते हैं. आपको खुदपर विश्वास होगा और आप इससे निकल पाएंगे.

खुल कर करें बात

यदि आप खुद में किसी तरह की घुटन महसूस करेंगे तो आप इस समस्या का शिकार हो सकते हैं, इसलिए जब आपको ऐसा लगे तो आप सभी से खुल कर बातें करें. जब आप कोशिश करते हैं या भाग्यशाली व्यक्ति होने की भावना को दूर करना चाहते हैं, तो स्पष्ट रूप से उन समस्याओं के बारे में बताने के लिए दोस्तों, परिवार और सहकर्मियों से बात करें. वे आपको कुछ अलग तरीके से समझाने की कोशिश करेंगे और आपका मनोबल बढ़ाएंगे.

जो समय चला गया उसके बारे में ना सोचे

ऐसा बहुत से लोग करते हैं की जब वह अपना काम समय से पूरा नहीं कर पाते हैं तो अपने बीते हुए समय के बारे में सोचते रहते हैं कि काश हमने ऐसा किया होता तो अच्छा होता. बल्कि उन्हें ये समझना चाहिए, अब जो आने वाला समय है वह उनके लिए कितना उपयोगी साबित हो सकता है, उन्हें ये सोचना चाहिए वह कैसे सही ढंग से प्लानिंग करके अपने काम को पूरा और सही ढंग से कर सकते हैं

कुछ विशेषज्ञ इसके इलाज के बारे में भी बात करते हैं क्योंकि इस सिंड्रोम वाले कई लोग गलती से मान बैठते हैं कि केवल उनके पास ही ये भावनाएं हैं. इससे उनमें अन्य लोगों से अलगाव होता है.  जबकि कई लोग ऐसी ही बीमारी से जूझ रहे होते हैं. इसके साथ ही मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स के पास जाने से इम्पोस्टर सिंड्रोम वाला शख्स खुल कर अपनी बात कह पाता है. इससे उसे अपनी भावनाओं की पहचान करने में मदद मिल सकती है, जिससे उन्हें इसके कारणों से निपटने का मौका मिलता है. इस सिंड्रोम के लक्षणों को जानना भी जरूरी है ताकि इसका सटीक इलाज हो पाए.

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