Pneumonia Symptoms: क्या है निमोनिया, वायरल बुखार और फ्लू में अंतर, इन लक्षणों से करें पहचान

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Dec 01, 2023, 06:36 PM IST

क्या है निमोनिया, वायरल बुखार और फ्लू में अंतर, इन लक्षणों से करें पहचान

यहां जानिए निमोनिय, फ्लू और वायरल बुखार में अंतर क्या है. जिससे आप समय रहते इन बीमारियों को पहचान कर इसका सही इलाज शुरू कर सकते हैं..

डीएनए हिंदी: Difference Between Pneumonia Flu And Viral Fever- सर्दी के मौसम में कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस एक्टिव हो जाते हैं, जिसकी वजह से इस मौसम में सर्दी-खांसी और जुकाम-बुखार का जोखिम बढ़ जाता है. बता दें कि इस समय देश के कई इलाकों में वायरल बुखार, फ्लू और निमोनिया के केस बढ़ रहे हैं. इन तीनों ही बीमारियों के लक्षण एक जैसे ही हैं और इस कारण लोग सही समय पर इन बीमारियों की पहचान नहीं कर पाते हैं, जिससे आगे चलकर (Pneumonia Symptoms) ये समस्या और भी गंभीर हो जाती है. ऐसे में इन बीमारियों के लक्षणों में अंतर समझना बहुत ही जरूरी है. ऐसे में आइए आपको बताते हैं निमोनिय, फ्लू और वायरल बुखार में अंतर क्या है. इससे आप समय रहते इन बीमारियों (Viral Fever Symptoms) को पहचान कर इसका सही इलाज शुरू कर सकते हैं.

निमोनिया और फ्लू में अंतर

बता दें कि फ्लू और निमोनिया के लक्षण में सबसे बड़ा अंतर सांस संबंधी समस्या है. दरअसल फ्लू होने पर सांस लेने में परेशानी न के बराबर होती है, वहीं निमोनिया में सांस लेने में समस्या होती है और इससे शरीर में ऑक्सीजन कमी कमी होने लगती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है. इसके अलावा फ्लू होने पर सीने में दर्द नहीं होता है, वहीं निमोनिया में सीन में दर्द होता है और इसके साथ खांसी के साथ काफी बलगम भी आता है. 

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निमोनिया से पीड़ित लोगों को थकान, भूख में कमी और ठंडा पसीना आने की समस्या होती है और फ्लू में ठंडा पसीना नहीं आता है. इसके अलावा फ्लू तीन से चार दिन में खुद ही ठीक हो जाता है, वहीं अगर निमोनिया हो जाए और ये बैक्टीरियल निमोनिया है तो मरीज की हालत बिगड़ सकती है. ऐसे में अगर समय पर ट्रीटमेंट न हो तो मौत तक का खतरा रहता है.

जानें क्या है वायरल बुखार और निमोनिया में अंतर

बता दें कि वायरल बुखार में हल्का फीवर होता है और सांस लेने में परेशानी या छाती में दर्द की समस्या नहीं होती है. इसके अलावा वायरल बुखार किसी भी व्यक्ति को हो जाता है, लेकिन निमोनिया के ज्यादातर मामले बच्चों और बुजुर्गों में ही आते हैं और यह 2 साल से छोटे बच्चों के लिए यह घातक हो सकता है.

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(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)

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