डेंगू दिन पर दिन खतरनाक रुप लेता जा रहा है. इस बार कोरोना की तरह डेंगू के नए स्ट्रेन में भी शुरुआती 3-4 दिन तक बुखार नहीं उतरता है. डेंगू में बुखार इतना तेज होने पर पैरासिटामोल लेना भी अब खतरनाक हो जाता है. यही कारण है कि डेंगू के मरीज कम प्लेटलेट्स के बजाय काली उल्टी या काले मल के साथ अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं.
पैरासिटामोल का ओवरडोज खतरनाक साबित हो रहा है
हालांकि, रक्तस्रावी और शॉक सिंड्रोम से पीड़ित रोगियों को कम उपचार की आवश्यकता होती है. उन्हें प्लेटलेट्स की जरूरत है. मरीज को चार से पांच घंटे के अंतराल पर चार से पांच बार दवा लेनी होती है. इस साल अब तक डेंगू, हेमरेजिक या शॉक सिंड्रोम से पीड़ित मरीजों की संख्या काफी कम रही है. डॉ. मनीष मंडल कहते हैं कि आमतौर पर डॉक्टर प्रति किलोग्राम 15 मिलीग्राम पैरासिटामोल की तीन गोलियां लेने की सलाह देते हैं.
डेंगू बुखार के विभिन्न चरण
डेंगू बुखार के कई चरण होते हैं. जिसमें अलग-अलग समय पर लक्षण भी बदलने लगते हैं. डेंगू आमतौर पर बिना दवा के 5 से 7 दिनों में ठीक हो जाता है. इसके बहुत गंभीर लक्षण नहीं होते हैं. अक्सर बुखार कम होने के बाद भी किसी गंभीर बीमारी के लक्षण दिखने लगते हैं. इसमें शरीर में प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं और फिर नाक, मसूड़ों और त्वचा पर लाल धब्बे दिखाई देने लगते हैं.
यदि उचित उपचार न किया जाए तो शरीर में तरल पदार्थ की कमी के कारण रक्तचाप भी कम होने लगता है. अक्सर मरीज कोमा में चला जाता है. अक्सर, जब रोगी की स्थिति में सुधार हो रहा होता है, तो रक्त वाहिकाओं में तरल पदार्थ की मात्रा अचानक बढ़ने लगती है. जिससे हृदय पर दबाव बढ़ने लगता है. इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा न लें.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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