डीएनए हिंदी: मौसम में बदलाव के कारण सर्दी-जुकाम होना और इसके कारण गले में खरास या दर्द होना आम बात है. इस स्थिति में गर्म पानी पीने या इससे गार्गल करने से थोड़े समय में ये समस्या ठीक भी हो जाती है. लेकिन, अगर आपको अक्सर गले में खरास रहती है या पानी पीने और खाना निगलने में दिक्कत (Dysphagia) होती है तो इस समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए. दरअसल यह डिस्फ़ेज़िया जैसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है. इसलिए इसके लक्षणों को भूलकर भी नजरंदाज न करें. क्योंकि समय रहते अगर इसका इलाज न हो तो आगे चलकर ये समस्या और भी गंभीर (Dysphagia Symptoms) )हो सकती है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बता रहे हैं डिस्फ़ेज़िया क्या होता है और इसके लक्षण क्या हैं, ताकि समय रहते आप इसकी (Health Tips) पहचान कर इसका सही इलाज कर सकें.
क्या है डिस्फ़ेज़िया
बता दें कि अगर आपको थूक, पानी या खाना निगलने में तकलीफ़ होती है, तो आपको डिस्फ़ेज़िया की बीमारी हो सकती है. किसी व्यक्ति डिस्फ़ेज़िया तब होता है जब खाने की नली पूरी तरह से बंद हो जाए या उसका रास्ता पतला हो जाए. इसके अलावा डिस्फ़ेज़िया भयानक रूप तब लेता है जब खाने की नली में ट्यूमर हो जाए. कई बार डिस्फ़ेज़िया धीरे- धीरे बढ़ जाता है और ऐसी स्थिति में मरीज को सूखा खाना खाने में भी तकलीफ होने लगती है. यहां तक की मरीज लार तक नहीं निगल पाता है. बता दें कि पानी या लार तक न निगल पाना एक संकेत है कि खाने की नली में कैंसर हो सकता है.
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डिस्फ़ेज़िया के लक्षण क्या हैं
- खाना या पानी, थूक, लार निगलने में तकलीफ होना.
- बार- बार उल्टियां होना
- हमेशा महसूस होना कि खाना चिपक रहा है.
- गले में खाना अटक जाना
- खाना खाने के साथ खांसी की तकलीफ
बता दें की यंग लोगों में ये बीमारी मांसपेशियों के खिंचाव के कारण होती है. ऐसे में गले में ऐसे किसी भी तरह के लक्षण दिखते हैं तो सबसे पहले ये टेस्ट करवाएं.
एंडोस्कोपी
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक़ डिस्फ़ेज़िया या गले में कैंसर होने पर फ्लेक्सिवक ट्यूब की मदद से एंडोस्कोपी की जाती है. बता दें कि यह एक ट्यूब होता है जिसके एक ओर कैमरा लगा होता है. ऐसे में ट्यूब के पहला सिरा मरीज के मुंह में डाला जाता है और इलाज किया जाता है. यह टेस्ट 2-3 मिनट के अंदर की जाती है और यह एक साधारण टेस्ट है इससे घबराना नहीं चाहिए.
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बायोप्सी
इसके अलावा बायोप्सी तब की जाती है जब पता लगाना होता है कि मरीज का कैंसर किस टाइप का है. साथ ही यह टेस्ट डॉक्टर इसलिए करते हैं ताकि ट्यूमर के साइज का पता लगाया जा सके.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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