Brain Stroke Alert: सर्दी में दिखाई दें ये लक्षण तो हो जाएं सावधान नहीं तो आ सकता है ब्रेन स्ट्रोक
Brain Stroke Alert: सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. आपकी थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है.
डीएनए हिंदी: ठंड में सर्दी-जुकाम होना आम बाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मौसम में ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) का खतरा भी काफी हद तक बढ़ जाता है. हाल ही में पिछले दिनों यूपी के कानपुर में ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक से से 21 लोगों की मौत की खबर भी आई थी. आप आप सोच रहे होंगे कि ऐसे कौन-से कारण हैं (brain stroke causes) जिनसे सर्दी के मौसम में ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है?, ऐसे कौन-से लक्षण (brain stroke symptoms) हैं जो बताते हैं कि आपको ब्रेन स्ट्रोक का खतरा है. आज हम आपके सारे सवालों का जवाब इस आर्टिकल के जरिए देने की पूरी कोशिश करेंगे.
क्या है ब्रेन स्ट्रोक?
ब्रेन स्ट्रोक (what is brain stroke) एक तरह की न्यूरोलॉजिकल समस्या है जिसे मस्तिष्क का दौरा या ब्रेन अटैक (brain stroke meaning) भी कहा जाता है. हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार ब्रेन स्ट्रोक की समस्याआमतौर पर तब पैदा (brain stroke reasons) होती है जब दिमाग की नसों में खून का थक्का जमने लगता है या फिर जब ब्लड फ्लो ब्लॉक होने से ब्लड वेसेल्स फटने लगती हैं. इससे मस्तिष्क के टिश्यू में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी होने लगती है और फिर कुछ मिनटों के अंदर ही मस्तिष्क की कोशिकाएं डैमेज होना शुरू हो जाती हैं. दोनों मामलों में दिमाग के कुछ हिस्सों को नुकसान हो है या फिर वो खत्म हो जाते हैं. ब्रेन स्ट्रोक ब्रेन को नुकसान तो होता ही है लेकिन इसके अलावा लंबे समय के लिए डिसेबिलिटी या यहां तक कि मौत भी हो सकती है.
ब्रेन स्ट्रोक संकेत और लक्षण
स्ट्रोक के दौरान हर मिनट मायने रखता है. ऐसे में फास्ट ट्रीटमेंट (brain stroke treatment) किया जाना बेहद जरूरी है क्योंकि ये मस्तिष्क को होने वाली हानि को कम कर सकता है. अगर आप ब्रेन स्ट्रोक के संकेतों (signs of brain stroke) और लक्षणों को अच्छे से समझ लेंगे तो शायद आप जल्द कार्रवाई करके किसी की जान भी बचा सकते हैं. अमेरिका की नेशनल हेल्थ एजेंसी ने ब्रेन स्ट्रोक को लेकर कुछ लक्षण (symptoms of brain stroke) और संकेत बताएं हैं जिनके इस्तेमाल से आप पता लगा सकते हैं कि आपको भविष्य में स्ट्रोक का खतरा है या नहीं ये लक्षण इस प्रकार हैं:-
पुरुषों और महिलाओं में स्ट्रोक के लक्षण
i. अचानक कंफ्यूजन का पैदा होना
ii. चेहरे, हाथ या पैर अचानक सुन्न पड़ जाना
iii. पूरा शरीर या कोई एक भाग पैरालाइजिस्ड होना
iv. बिना किसी कारण के अचानक तेज सिरदर्द होना
v. अचानक चलने में परेशानी, चक्कर आना, संतुलन खोना
vi. बोलने में परेशानी या किसी आसान सी बात को सुनने या समझने में कठिनाई
vii. एक या दोनों आंखों से देखने में अचानक परेशानी होना, धुंधला दिखाई देना
F.A.S.T तकनीक का इस्तेमाल
यदि आपको लगता है कि किसी को स्ट्रोक है तो आप F.A.S.T के जरिए भी चेक कर सकते हैं:
F-Face: किसी जिसको स्ट्रोक की समस्या है उस व्यक्ति को मुस्कुराने के लिए कहें और देखें कि क्या किसी भी तरफ से चेहरे का एक हिस्सा मुरझाया हुआ है.
A-Arms: व्यक्ति को उसके दोनों हाथों को ऊपर उठाने के लिए कहें अब गौर करें कि क्या दोनों में से कोई एक हाथ नीचे की ओर खुद गिरने लग रहा है या झुकना शुरू तो नहीं हो गया है?
S-Speech: व्यक्ति को एक आसान सा वाक्य दोहराने के लिए कहें और ध्यान से सुनें कि क्या उनकी स्पीच में किसी तरह का कोई फर्क महसूस हो रहा है क्या वो वाक्य बोलते समय लड़खड़ा तो नहीं रहा.
T-Time: अगर आप को इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो तो तुरंत CT स्कैन या MRI स्कैन कराएं.
सर्दी में ये 5 आदत बन सकती हैं ब्रेन स्ट्रोक का कारण
शराब: अगर आपको लगता है कि किसी (brain stroke causes) खास मौके पर थोड़ी सी शराब पीने से कुछ नहीं होगा तो आपको बता दें कि ये महज आपके भम्र के और कुछ भी नहीं. विशेषज्ञों के अनुसार कोई इंसान एक दिन में शराब के 2 पैग भी पीता है तो इससे उसे ब्रेन स्ट्रोक और ब्लड प्रेशर असंतुलित होने खतरा बढ़ जाता है. नेशनल हेल्थ सर्विस का कहना है कि अगर एक पुरुष एक दिन में 8 पैग और महिला 6 पैग पीती है इससे दोनों को ब्रेन स्ट्रोक होने की समस्या हो सकती है.
स्मोकिंग: शराब की तरह ही स्मोकिंग भी स्ट्रोक का कारण (brain stroke reasons) बन सकती है. आज के समय में सिगरेट, सिगार और हुक्का पीना फैशन बन गया है. जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के मेडिकल और साइंस डिपार्मेंट के मुताबिक स्मोकिंग इचेमिक स्ट्रोक (Ischemic Stroke) के खतरे को दोगुना कर देती है. ऐसे में जितना जल्दी स्मोकिंग को आप छोड़ दें तो आपके लिए ये बेहतर होगा.
एक्सरसाइज: सर्दी में अक्सर लोग एक्सरसाइज कम कर देते हैं. ऐसे फिजिकल एक्टिविटीज कम होने से मोटापे की समस्या पैदा हो जाती है. मोटापे के कारण हृदय रोग और अन्य कई बीमारियों का खतरा पैदा हो जाता है. व्यक्ति के शरीर के ऑर्गन ठीक से काम नहीं कर पाते हैं. ब्लड फ्लो (medication for brain stroke) काफी स्लो हो जाता है. खून के थक्के जमने लग जाते हैं. ऐसी सूरत में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा होने की संभावना बन सकती है. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि आप रोजाना कमसे कम आधे से एक घंटा एक्सरसाइज जरूर करें. एक्सरसाइज करते समय इस बात का ध्यान रखें कि उतनी ही एक्सरसाइज (brain stroke treatment) करें जिससे आपकी दिमाग की नसों पर ज्यादा जोर ना पड़े. मसलन अगर आप जिम में वेट ट्रेनिंग करते हैं तो जरूरत से ज्यादा वेट ना उठाएं केवल उतना ही वेट उठाएं जितनी आपकी कैपेसिटी है. ऐसा इसलिए अगर आप अपनी क्षमता से अधिक वेट उठाते हैं तो उसका सीधा असर आपकी नसों के जरिए दिल और दिमाग दोनों पर होता है.
पुराना रोग: अगर आपको पहले से ही कोई रोग हैं तो ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है. अगर किसी व्यक्ति को हाई ब्लज प्रेशर, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी कोई बीमारी है तो उन्हें ब्रेन स्ट्रोक होने का ज्यादा रिस्क होता है.
हेल्दी डाइट: आज लोगों की लाइफस्टाइल (ways to prevent brain stroke) पहले से कई ज्यादा बदल चुकी है. आज से 50-60 साल पहले जितनी शुगर लोग सालभर में कंज्यूम किया करते थे उसे वो अब 2-3 दिन में कर लेते हैं. आज लोग संतुलित आहार कम बल्कि ग्लूटिन, हाई शुगर चीजें ज्यादा खाते पीते हैं नतीजन लोगों में मोटापे, हाई ब्लज प्रेशर के साथ डायबिटीज की समस्या (diet for brain stroke patient) काफी देखने को मिल रही है. इतना ही नहीं दिनभर (ways to prevent brain stroke) में लोग जो फास्ट फूड और जंक फूड जैसे कचरे को शरीर में भर रहें हैं उससे शरीर की बीमारियों से लड़ने की ताकत भी कम होती जा रही है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी डाइट को सुधारें और मैदे और अधिक चीनीयुक्त पदार्थों के बजाए ड्राई फ्रूट्स, हरी सब्जियां, ताजे फल आदि का सेवन करें.
स्ट्रोक के प्रकार:
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मेडिकल विभाग के मुताबिक ब्रेन स्ट्रोक (types of brain stroke) मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं:
1. इस्केमिक स्ट्रोक: ये धमनी (Aretery) में ब्लॉकेज होने के कारण होते हैं. लगभग 87% स्ट्रोक इस्कीमिक (Acute Ischemic Stroke) होते हैं. एक इस्केमिक स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क में खून की नसें ब्लॉक हो जाती हैं और मस्तिष्क के किसी एक हिस्से में ब्लड फ्लो रुकने लग जाता है. ऑक्सीजन और न्यूट्रिशियंस की कमी से मस्तिष्क की कोशिकाएं और ऊतक मिनटों में मरने लगते हैं. इस्केमिक स्ट्रोक को 2 भागों में बांटा गया है.
(i). थ्रोम्बोटिक स्ट्रोक: ये मस्तिष्क (Thrombotic Stroke )में खून के थक्के बनने से होता है. ये दिमाग को ब्लड की सप्लाई करने वाली धमनियों में बनते होते हैं. इस प्रकार का स्ट्रोक आमतौर पर वृद्ध व्यक्तियों में, हाई कोलेस्ट्रॉल और एथेरोस्क्लेरोसिस या डायबिटिक लोगों में दिखाई देता है.
(ii).एम्बोलिक स्ट्रोक : ये स्ट्रोक (Embolic stroke) आमतौर पर खून के थक्कों के कारण होता है जो शरीर में कहीं और बनता है लेकिन ब्लड फ्लो के जरिए से मस्तिष्क तक पहुंच जाता है. लगभग 15% एम्बोलिक स्ट्रोक एट्रियल फिब्रिलेशन वाले लोगों में होते हैं. एट्रियल फिब्रिलेशन एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें आपका हृदय अनियमित रूप से धड़कता है.
2. हेमोरेजिक स्ट्रोक: ये ब्लीडिंग के कारण होने वाले स्ट्रोक (hemorrhagic strokes) हैं. सभी स्ट्रोक में लगभग 13% मामले हेमोरेजिक स्ट्रोक के होते हैं. ये स्ट्रोक तब होते हैं जब मस्तिष्क में ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स की आपूर्ति करने वाली ब्लड वेसेल फट जाती है और खून बहने लगता है. जब किसी धमनी से मस्तिष्क में खून बहता है, तो मस्तिष्क की कोशिकाओं और ऊतकों को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिलते हैं. इसके अलावा आसपास के टिश्यू में दबाव बनता है, जलन और सूजन होती है. इससे मस्तिष्क को नुकसान होता है. हेमोरेजिक स्ट्रोक को दो भागों में बांटा गया है:
(i). इंट्रासेरेब्रल हेमोरेज: इसमें मस्तिष्क के अंदर मौजूद ब्लड वेसेल में ब्लीडिंग होती है. आमतौर पर ये (Intracerebral Hemorrhage) हाई ब्लड प्रेशर के कारण होता है. इसमें बिना किसी संकेत के मस्तिष्क में ब्लीडिंग अचानक और तेजी से होती है. ये इतना गंभीर है कि इससे कोई कोमा में जा सकता है या फिर मौत भी हो सकती है.
(ii). सबाराकनॉइड हैमरेज: यह तब होता है जब ब्रेन और मेम्ब्रेन के बीच ब्लीडिंग होती है. यह (subarachnoid hemorrhage) अक्सर एन्यूरिज्म और आर्टिरियोवेनस मैलफॉर्मेशन के कारण होता है. एन्यूरिज्म ऐसी स्थिति होती है जिसमें कमजोर ब्लड वेसेल का एक हिस्सा बाहर की ओर फूल या सूज जाता है और कभी-कभी टूट या फट भी जाता है.वहीं आर्टिरियोवेनस मैलफॉर्मेशन में असामान्य रूप से बनी हुई ब्लड वेसेल्स आती हैं. अगर इस तरह की ब्लड वेसेल्स टूट जाती हैं, तो इससे हेमोरेजिक स्ट्रोक हो सकता है.
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(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)