डीएनए हिंदी: कैंसर तब होता है जब शरीर में सेल बनाने वाली प्रक्रिया अनियंत्रित हो जाती है। इससे सेल या तो तेजी से विभाजित होने लगते हैं, या बढ़ने लगते हैं. कुछ विटामिन्स शरीर में ट्यूमर (tumor) नहीं बनने देते और मेटास्टेसिस (metastasis) की आशंका को कम करते हैं. जिन लोगों में कैंसर की एडवांस स्टेज (cancer advance stage) पाई गई है, उनमें विटामिन डी की कमी पाए जाने की संभावना तीन गुना तक होती है.
शरीर के अंगों के भलीभांति काम करने के लिए सेल ग्रोथ को नियंत्रित रखना जरूरी होता है. इस रेगुलेशन में किसी तरह की दिक्कत कैंसर में बदल सकती है. कैंसर से दुनियाभर में सालाना 6.7 मिलियन (67 लाख) लोगों की मौत होती है. इसके बावजूद इस बीमारी का इलाज अब तक खोजा नहीं जा सका है. हालांकि, ट्रीटमेंट में सुधार के चलते मृत्युदर में कमी आई है.
यह भी पढ़ें: Vitamin C Deficiency: जोड़ों में दर्द और खून की कमी की वजह विटामिन सी भी, जानिए इसके और भी खतरे
शुरुआती रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पाया कि कैंसर ग्रस्त तीन चौथाई यानी 75 फीसदी लोगों में विटामिन डी की कमी पाई गई और एडवांस स्टेज वाले ज्यादातर मरीजों में इस विटामिन की बेतहाशा कमी मिली. हालांकि, विटामिन डी की कमी और कैंसर के बीच संबंधों पर पुख्ता प्रमाण अभी नहीं आए हैं.
कुछ स्टडीज में विटामिन डी की कमी और कैंसर बढ़ने का जुड़ाव पाया गया है. शुरुआती लैब स्टडीज में ये पाया गया है कि पोषक तत्वों में एंटी ट्यूमर गुण होते हैं, जो कैंसर सेल्स के बढ़ने और फैलने में शामिल जीन्स को रेगुलेट करता है.
2011 में एक शुरुआती अध्ययन में 160 महिला और पुरुष कैंसर रोगियों के ब्लड सैंपल की जांच में विटामिन डी की कमी पाई गई थी। इनमें ज्यादातर ब्रेस्ट, प्रोस्टेट, लंग, थायरॉयड और कोलोलेक्टल कैंसर के मरीज थे. इनमें 42 फीसदी मरीजों में विटामिन डी बेहद कम था, जबकि 32 फीसदी में इसकी औसत कमी पाई गई थी.
यह भी पढ़ें:
विटामिन डी का खतरनाक लेवल
विटामिन डी का शरीर में स्तर यदि 24 एनजी/एमएल से नीचे हो तो कैंसर के थर्ड स्टेज में पहुंचने की आशंका तीन गुना बढ़ जाती है.
कैंसर की कमी के लक्षण
कैंसर के लक्षणों में मांसपेशियों में कमजोरी, दर्द, थकान और डिप्रेशन काफी आम हैं. इन कमियों को सूर्य की रोशनी से दूर किया जा सकता है. दिन में 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक की धूप को विटामिन डी के लिए उपयुक्त माना जाता है.
विटामिन डी कैसे मिलेगा
विटामिन डी के लिए फैटी फिश, दूध और अनाज तो स्रोत हैं ही, सूर्य की रोशनी से भी ये विटामिन हमें मिल सकता है.
मॉनसून या ठंड के मौसम में उचित मात्रा में सूर्य की रोशनी न मिल पाने की वजह से सप्लिमेंट दिया जा सकता है. ध्यान रहे कि शरीर में विटामिन डी की अधिकता भी खतरनाक है। इसलिए इसके डोज के संबंध में अपने डॉक्टर की सलाह पर ही चलेंं.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.