डीएनए हिंदीः डायबिटीड के बढ़ते मामले चिंता का कारण है और इस चिंता के पीछे की वजह और भी चिंताजनक है, असल में 45 साल से अधिक के पुरुषों में 4 तरह की शारीरिक कमी हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन रही है. इस कमी मे 3 कमी तो आसानी से नजर आ जाती है लेकिन चौथी कमी को लोग डायबिटीज का कारण शायद मानते ही नहीं हैं, जबकि ये कमी डायबिटीज का गंभीर कारण बन रही है.
टेड के स्वास्थ्य के वरिष्ठ चिकित्सा सलाहकार और स्पायर अस्पताल के सलाहकार प्रोफेसर जेफ्री हैकेट की रिपोर्ट बताती है कि पुरुषों में एक खास हार्मोन की कमी डायबिटीज से जुड़ी हुई है. उन्होंने कहना है कि टेस्टोस्टेरोन की कमी लोगों की सोच से कहीं अधिक आम है और 45 से अधिक पुरुषों के 40 प्रतिशत पुरुष इसकी कमी झेल रहे हैं.
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बता दें कि टेस्टोस्टेरोन एक सेक्स हार्मोन है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों में पाया जाता है. इसमें मांसपेशियों के द्रव्यमान को विनियमित करने और लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन सहित कई कार्य हैं. पुरुषों के शरीर में स्वाभाविक रूप से टेस्टोस्टेरोन का स्तर बहुत अधिक होता है और इसकी कमी केवल सेक्सुअल ड्राइव पर ही नहीं, ब्लकि ब्लड शुगर के स्तर पर भी असर दिखाती है.
टेस्टोस्टेरोन की कमी और टाइप 2 मधुमेह, मोटापा और हृदय रोग के बीच आपस में गहरा संबंध है. कम टेस्टोस्टेरोन वाले पुरुषों में टाइप 2 मधुमेह विकसित होने की संभावना चार गुना अधिक होती है. टेस्टोस्टेरोन की कमी से बॉडी मास इंडेक्स, कमर की परिधि और इंसुलिन प्रतिरोध में वृद्धि होती है, जिससे यह जोखिम बढ़ जाता है.
चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा निर्धारित टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के साथ टेस्टोस्टेरोन की कमी का इलाज करके, प्री-डायबिटीज को रोका जा सकता है.
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पुरुषों में देखने के लिए टेस्टोस्टेरोन की कमी के लक्षणों में शामिल हैं:
- सुबह इरेक्शन का नुकसान
- नपुंसकता
- अवसाद
- ब्रेन फ़ॉग
- भार बढ़ना
- सुस्ती
क्या कहता है शोध
2007 में डायबिटीज केयर में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि कम टेस्टोस्टेरोन वाले पुरुषों में टाइप 2 मधुमेह विकसित होने की संभावना चार गुना अधिक थी. शोध में 20 और उससे अधिक आयु के 1,400 से अधिक पुरुषों के डेटा लिया गया था. इसमे पाया गया कि जिनमें टेस्टोस्टेरोन स्तर सबसे कम था उनमे डायबिटीज के संभावना चार गुना अधिक थी.
2011 से एक अलग अध्ययन में भी पाया गया कि टाइप 2 डायबिटीज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम वाले पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (टीआरटी) का प्रयोग किया गया तो उनमे सुधार नजर आया. इन सारे ही पुरुषों को छह महीने की अवधि में ट्रांसडर्मल टीआरटी इंसुलिन प्रतिरोध, कुल और कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन ('खराब' कोलेस्ट्रॉल), लिपोप्रोटीन ए, और टाइप 2 डाटबिटीज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम वाले हाइपोगोनैडल में लाभकारी अंतर नजर आया था.
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टेस्टोस्टेरोन कैसे कम होता है?
प्रोफेसर हैकेट ने के अनुसार पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर की कमी लिए एक्सरसाइज न करना, मोटापा , शराब और धूम्रपान जिम्मेदार होता है. लेकिन जीवनशैली में बदलाव हैं, वजन कम करने से टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बेहतर बनाया जा सकता है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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