World Encephalitis Day: ये हैं दिमाग में होने वाले वायरल संक्रमण के चेतावनी भरे संकेत, इंसेफेलाइटिस का जान लें इलाज

Written By ऋतु सिंह | Updated: Feb 22, 2023, 07:22 AM IST

World Encephalitis Day

इंसेफेलाइटिस एक गंभीर स्थिति है, जिसमें जरा सी लापरवाही जान ले सकती है. आज विश्व इंसेफेलाइटिस दिवस पर चलिए इस रोग से बचाव के बारे में जानें.

डीएनए हिंदीः इंसेफेलाइटिस को जापानी इंसेफेलाइटिस के नाम से भी जानते हैं, ये ऐसा एक वायरल संक्रमण है जो मस्तिष्क में मच्छर के काटने से फैलता है. असल में इंसेफेलाइटिस संक्रमण या ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया के कारण मस्तिष्क की सूजन हो जाती है.
हर साल विश्व इंसेफेलाइटिस दिवस 22 फरवरी को लोगों को इस गंभीर बीमारी से जागरुक करने के लिए ही मनाया जाता है. बता दें कि दुनिया भर में हर मिनट 1 व्यक्ति इंसेफेलाइटिस से प्रभावित होता है, फिर भी इस बीमारी के बारे में लोग बहुत जागरूक नहीं हैं.

इंसेफेलाइटिस के लक्षण
इंसेफेलाइटिस के सामान्य लक्षणों में सिरदर्द, लाइट के प्रति संवेदनशीलता, गर्दन में अकड़न, मानसिक भ्रम और दौरे शामिल हैं. इंसेफेलाइटिस कई प्रकार के होते हैं और वायरल संक्रमण से लेकर प्रतिरक्षा प्रणाली की असामान्य प्रतिक्रिया के कारण ये अलग होते हैं. इंसेफेलाइटिस हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस टाइप 1 और 2, वैरिकाला जोस्टर वायरस और एंटरोवायरस जैसे वायरस के कारण भी हो सकता है. यह मच्छरों, टिक्स और अन्य कीड़ों या जानवरों से फैलने वाले वायरस के कारण भी हो सकता है.

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इंसेफेलाइटिस के चेतावनी संकेत
इंसेफेलाइटिस अक्सर फ्लू जैसी बीमारी (जैसे, सिरदर्द, उच्च तापमान) से शुरू होता है. आमतौर पर ये गंभीर लक्षण कुछ घंटों से दिनों तक, या कभी-कभी हफ्तों बाद में दिखाई देते हैं. सबसे गंभीर चेतना के स्तर में बदलाव है. यह हल्के भ्रम या उनींदापन से लेकर बेहोशी और कोमा तक ले जा सकता है. अन्य लक्षणों में दौरे (फिट), लाइट में देखने से दिक्कत, बोलने या शरीर पर नियंत्रण करने में असमर्थता,गर्दन की जकड़न या अनैच्छिक व्यवहार शामिल हैं. 

इसे रोकने के उपाय
संक्रामक को टीकाकरण और मच्छरों या टिक्स से बचाव के तगड़े इंतजाम ही काम आ सकते हैं, 

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इंसेफेलाइटिस का इलाज
आमतौर पर एन्सेफलाइटिस के लिए उपचार में बेडरेस्ट करना होता है और बहुत सारे तरल पदार्थ का उपभोग होता है. सिरदर्द और बुखार से राहत पाने के लिए एसिटामिनोफेन, इबुप्रोफेन और नैप्रोक्सेन सोडियम जैसी एंटी इंफ्लैमेटरी दवाएं डॉक्टर की सलाह के बाद ही दी जाती हैं. हाल ही में, निदान और उपचार में सुधार हुए हैं. ऑटोइम्यून इंसेफेलाइटिस के निदान के लिए एंटीबॉडी परीक्षण, संक्रामक इंसेफेलाइटिस या पीईटी स्कैन का निदान करने के लिए पीसीआर सीएसएफ परीक्षण जैसी तकनीकें हैं जो ट्यूमर की तलाश कर सकती हैं. कई बार सेरेब्रोस्पाइनल तरल पदार्थ (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में जमा तरल) को काठ पंचर (एक प्रक्रिया जिसमें रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में एक छोटी सुई डाली जाती है) के माध्यम से निकाल दिया जाता है.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.) 

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