पुरुष में बांझपन का कारण है Weak Sperm, इस तकनीक से दूर होगी Male Infertility

ऋतु सिंह | Updated:Jul 04, 2022, 01:07 PM IST

स्‍मर्प कांउट कम है तो घबराएं नहीं, ये तकनीक दूर करेगी प्रॉब्‍लम

Male Infertility : पुरुषों में बांझपन का एक बड़ा कारण है स्‍पर्म का कमजोर होना या उसकी संख्‍या में कमी. अगर आप भी इस समस्‍या से जूझ रहे तो घबराएंं नहीं. स्‍पर्म से जुड़ी इस प्रॉब्‍लम को आसानी से दूर किया जा सकता है. कैसे? चलिए जानें.

डीएनए हिंदी: स्‍पर्म के वीक (Weak Sperm) होने से कई बार बच्‍चे पैदा करने में समस्‍या आती है. बिगड़ी हुई लाइफस्‍टाइल और खानपान की गलत आदतों के साथ ही कुछ शारीरि‍क समस्‍या के चलते भी स्‍पर्म कमजोर होने लगते हैं. भले ही शरीर बाहरी तौर पर मजबूत और बलशाली नजर आए ले‍किन स्‍मर्प कमजोर हो सकते हैं. तो यह साफ है कि शारीरिक मजबूती का संबंध स्‍पर्म से नहीं होता है. ये अंदरुनी दिक्‍कतों की वजह से होता है. लेकिन इस समस्‍या का इलाज है.  

इस खबर में आपको बताएंगे कि अगर आप स्‍पर्म की कमजोरी या कम संख्‍या की समस्‍या से परेशान है तो Intracytoplasmic Sperm Injection कैसे आपकी समस्‍या को दूर कर सकता है. इंट्रासाइटोप्लास्मिक एक ऐसी तकनीक है जो Male Infertility के लिए वरदान साबित होगी. इस तकनीक में पुरुषों काे शुक्राणु का इंजेक्शन स्पर्म पेशियों से मायक्रोस्कोपी के जरिए हसिल किया जाता है. तो चलिए जानें कि ये तकनीक क्‍या है और कैसे बांझपन को दूर करने में मददगार है. 

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ऐसे चेक की जाती है स्पर्म क्वालिटी
माइक्रोस्कोप मशीन की मदद से अच्छे और कमजोर शुक्राणुओं की पहचान की जाती है. यह माइक्रोस्कोप मशीन स्पर्म यानी शुक्राणु की सख्‍ंया काे बताती है .

ICSI क्या है
आईसीएसआई तकनीक में एक बीज को एक जीवित शुक्राणु के साथ मायक्रोमैनिप्यूलेटर मशीन से मिलाया जाता है. यानि‍ भ्रू्ण को पहले बाहर ही विकसित किया जाता है, इसके दो दिनों के बाद भ्रूण को मां के गर्भाशय छोड़ा जाता है और प्रेग्नेंसी को कन्फर्म करने के एक ब्लड टेस्ट 14 दिनों के बाद किया जाता है.

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इस पूरी क्रिया से पहले कपल्स में स्त्री को हार्मोनल इंजेक्शन 10-12 दिन पहले दिए जाते है, ताकि वो 10-12 बीज तैयार कर सके. फिर इन बीजों को निकाला जाता है, जिसे ओव्हम-पिक कहते है, ये तकलीफ देह नहीं होता है. इसके बाद पति से शुक्राणु निकाले जाते है, इस पद्धति को टेस्टाक्यूलर बायोप्सी कहते है. ज्यादा से ज्यादा इसमें 15-20 मिनट लगते है, और पेशंट को अनेस्थेशिया दिया जाता है. आईएमएसआय इनट्रैसायटोप्लास्मिक मेफोलॉजी में स्पर्म इंजेक्शन दिए जाते हैं, वैसे यह आईसीएसआई तकनीक का अगला पड़ाव है. फर्क इतना ही है कि आईएमएसआई स्पर्म का चुनाव काफी सववधानीपूर्वक करते हैं. जबकि पारंपारिक आईसीएसआई तकनीक से यह काफी प्रभावकारी है, जिन पुरुषों का स्पर्म काऊंट कम है या एब्नॉर्मल है उन्हें आईएमएसआई से फायदा प्राप्त हो सकता है.

आईवीएफ से भी प्रभावी है इंट्रासाइटोप्लास्मिक तकनीक

इस तकनीक को इंट्रासाइटोप्लास्मिक कहते है, जो स्पर्म के इंजेक्शन के जरिए दी जाती है. इसका नतीजा आईवीएफ तकनीक से भी ज्‍यादा बेहतर होता है. इसमें भी प्रभावकारी स्पर्म को सलेक्ट करना होता है.

आईवीएफ तकनीक में आता है इतना  खर्चा 

आईवीएफ तकनीक का खर्च तकरिबन 80,000 से 1,00000 तक आता है, इतना खर्च होने के बाद दम्पति हाल में प्रेग्नेंसी पाने में कोई कोई रिक्स उठाना नहीं चाहते हैं, उन कपल्स के लिए इंट्रैसायटोप्लास्मिक मॉफेलोजी तकनीक काफी उपयुक्त हो सकती है.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.) 

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