आंख के पिछले पर्दे को रेटिना (Retina) कहा जाता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसमें कुछ ऐसी कोशिकाएं होती हैं, जिन तक प्रकाश पहुंचता है और ये इसी प्रकाश का विश्लेषण कर नजर आने वाली (Eye Health) चीजों की पहचान करती हैं यानी देखने में सक्षम होती हैं. बता दें कि रेटिना में खराबी के कारण ही आंख से जुड़ी (Retinal Problems) ज्यादातर बीमारियां जन्म लेती हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो भारत में 1 करोड़ से ज्यादा लोग रेटिना से जुड़ी (Retinal Diseases) बीमारियों से जूझ रहे हैं.
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक वैसे तो बुजुर्गों में इससे जुड़े रोग होना बहुत (Retinal Problems Symptoms) आम है. लेकिन, पारिवारिक इतिहास, खराब जीवनशैली, खानपान की गलत आदतों के अलावा अन्य कई कारकों की वजह से युवा भी (What Cause Retinal Problems) इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में बता रहे हैं, जो रेटिनल प्रॉब्लम (Retinal Diseases Symptoms) की ओर इशारा करते हैं.
रेटिना से जुड़ी बीमारियों के क्या दिखते हैं लक्षण?
- धुंधली दृष्टि
- आंखों में तैरते हुए धब्बे या रेखाएं दिखना
- रंगों को फीका या धुंधला दिखाई देना
- रात में देखने में परेशानी का सामना करना
- सीधे देखने में परेशानी होना
- प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि होना
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रेटिना से जुड़ी बीमारियों का क्या है इलाज
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक रेटिना की बीमारियों के उपचार के लिए सबसे पहले जरूरी है कि आप अपनी आंखों की जांच कराएं, इसके लिए विजुअल एक्युटी टेस्ट, प्यूपिल डाइलेशन टेस्ट, आईबॉल प्रेशर टेस्ट, फंडस परीक्षण, ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी, फ्लूरोसेन एंजियोग्राफी जैसे टेस्ट कराएं. इससे जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए दवाओं के साथ लेजर सर्जरी, सर्जरी आदि किया जाता है.
कैसे करें इससे जुड़ी बीमारियों से बचाव
रेटिना से जुड़ी बीमारियों से बचाव के लिए जरूरी है कि आप आंखों का नियमित चेकअप कराएं, धूम्रपान और शराब के सेवन से परहेज करें. इसके अलावा डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी स्थितियों को कंट्रोल करके इस समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है. इसके साथ फिजिकल एक्टिविटी बनाए रखने के लिए रोजाना एक्सरसाइज जरूर करें.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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