Biopsy Myth Vs Reality: क्या बायोप्सी से और फैल जाता है कैंसर, जानिए इसके पीछे की सच्चाई

Written By सुमन अग्रवाल | Updated: Aug 03, 2022, 11:43 AM IST

Biopsy: बायोप्सी के बारे में सुनते ही लोग डर जाते हैं, उन्हें लगता है अब कैंसर और बढ़ जाएगा लेकिन इन मिथकों से बाहर निकलिए, जानिए इस प्रक्रिया की सच्चाई और इसके परिणाम

डीएनए हिंदी: बायोप्सी (Biopsy) एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें आपके शरीर से कुछ टिश्यूज लेकर उसकी जांच की जाती है. अगर किसी बड़ी बीमारी का संदेह होता है तो उस दौरान उस बीमारी की पुष्टि करने के लिए इसकी जांच बहुत आवश्यक है. लिवर,(Liver) फेफड़े,(Lungs) किडनी,(Kidney) पेट या फिर स्किन के किसी हिस्से से कुछ टिश्यूज लेकर उसे जांच के लिए भेज दिया जाता है, इसे बायोप्सी कहते हैं. Biopsy के दौरान या इस प्रक्रिया के बाद इसके परिणाम से डरने की कोई बात नहीं है. यह बहुत ही आसानी से हो जाती है. 


लोगों को बायोप्सी की प्रक्रिया को लेकर काफी डर रहता है और इसे लेकर लोगों में काफी मिथक (Biopsy Myths) भी है. आईए जानते हैं क्या है वे मिथक और क्या है सच्चाई. बायोप्सी की प्रक्रिया कैसी होती है 

यह भी पढ़ें- टॉयलेट के दौरान अगर ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान, हो सकता है यह कैंसर

कैसे होती है बायोप्सी की प्रक्रिया

आमतौर पर बायोप्सी करने की सलाह तब दी जाती है जो कैंसर (Cancer) जैसी कोई बीमारी शरीर में संकेत देती है,जहां बीमारी का निदान पहले ही हो जाता है, वहां बायोप्सी का उपयोग यह मापने के लिए किया जा सकता है कि यह कितनी गंभीर है या यह किस स्तर पर पहुंची है. उदाहरण के लिए बायोप्सी के जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि कैंसर का स्तर क्या है . 

मिथक (Myths)

आज के दौर में बायोप्सी की संख्या में वृद्धि हुई है. 90 फीसदी मालों के निदान के लिए सबसे बेहतर प्रक्रिया बायोप्सी को माना जाता है लेकिन लोगों में इसे लेकर काफी डर है और मिथक भी 

लोगों को लगता है कि बायोप्सी के बाद कैंसर जैसी बीमारी और ज्यादा फैल जाती है क्योंकि शरीर के सेल्स से टिश्यूज (Tissues Test) लेकर उसे जांच के लिए भेजते हैं. ऐसे में ये कहीं फैल न जाए लेकिन ऐसा नहीं होता है, बल्कि कैंसर के स्तर का पता चलता है और बीमारी की गंभीरता को देखते हुए इलाज भी बताया जाता है. 

लोगों को लगता है कि ये एक खतरनाक ऑपरेशन है, जबकि यह एक सिंपल प्रक्रिया है. इसमें कोई ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं होती है. हां बस जिस जगह पर बीमारी का डर है वहां से कुछ टिश्यूज लेने के लिए नीडल का उपयोग किया जाता है. इससे लोगों को खतरा नहीं बल्कि लाभ मिलता है. 

यह भी पढ़ें- फैटी लिवर की समस्या के लक्षण, हाथ और पैरों के ये लक्षण बताते हैं लिवर का हाल

कई कहते हैं कि नीडल प्रक्रिया (Needle Process) की वजह से कैंसर की स्टेज बढ़ जाती है लेकिन ऐसा नहीं है. उल्टा इससे कैंसर के सही स्टेज और आने वाले ट्रीटमेंट का पता चलता है. बायोप्सी नीडल के जिरए आसपास की त्वचा और नरम टिश्यूज में फैल सकती है. इससे ट्रीटमेंट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है 

ऐसा कहा जाता है कि बायोप्सी के लिए अस्पताल में एडमिट होना पड़ता है. ऐसा जरूरी नहीं है.आपके उस हिस्से को सुन्न करके एनसथेसिया देकर प्रक्रिया पूरी की जा सकती है.

यह भी पढ़ें- कोरोना, टोमैटो फीवर और मंकीपॉक्स से लड़ने में मदद देते हैं ये हर्ब्स

बायोप्सी की सच्चाई और परिणाम (Truth of Biopsy and Results of it)

अधिकांश बायोप्सी प्रक्रिया में केवल लोकल एनेस्थेटिक की आवश्यकता होती है और आपको पूरी रात अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं होगी. हालांकि, सर्जरी के लिए जनरल एनेस्थेटिक की आवश्यकता हो सकती है, इस स्थिति में आपको रात भर अस्पताल में रहना पड़ सकता है

बायोप्सी में किसी तरह का दर्द नहीं होता है हालांकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपके शरीर में नमूना कहां से लिया गया है. आपको हल्का दर्द हो सकता है जिसे आपके डॉक्टर या सर्जन की सलाह पर दर्द निवारक दवाओं से ठीक किया जा सकता है.

वहीं, कुछ प्रकार की बायोप्सी में कुछ घंटों के लिए अस्पताल में रहना पड़ सकता है. अस्पताल छोड़ने से पहले आपको टांके या ड्रेसिंग की आवश्यकता हो सकती है

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.) 


देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर