डीएनए हिंदी: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) और लॉकडाउन (Lockdown) ने हर किसी की जिंदगी उथल पुथल कर दी है. ज्यादातर लोगों की लाइफस्टाइल में काफी बदलाव आया है, उनके सोने के रूटीन में, खाने पीने के काम करने के तरीके में काफी कुछ बदला है. सबसे ज्यादा जिस पर फर्क पड़ा है वो है लोगों की नींद पर. देर से सोना, कभी आधी रात को जग जाना,कभी सुबह बहुत जल्दी उठ जाना, काम का स्ट्रेस, बाकी चीजों का तनाव, कोरोना का डर इन सब फैक्टर्स की वजह से लोग नींद की बीमारी का शिकार हुए हैं.
सोशल मीडिया कम्यूनिटी (Social Media Community Survey) के सर्वे के मुताबिक यह बात सामने आई है कि आप और मैं अकेले इस बीमारी का शिकार नहीं हैं बल्कि पूरा भारत इस बीमारी से जूझ रहा है, जिसमें दिल्ली की 54 फीसदी जनता कोरोनासोमनिया (Coronasomnia) का शिकार है. नींद की इस बीमारी को डॉक्टरों ने कोरोनासोमनिया का नाम दिया है
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आईए जानते हैं क्या है कोरोनासेमनिया और किन कारणों की वजह से लोग इस बीमारी के चपेट में आए (Causes of Coronasomina in Hindi)
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कोरोना का डर (Fear of Corona)
कोरोना के डर ने लोगों की रातों की नींद उड़ा दी है. कोरोना का जो दौर गुजरा है उसमें रात और दिन बस यही डल लगा रहता था कि कहीं किसी अपने के अस्वस्थ होने की खबर ना आ जाए, ऐसे में रातों को चैन नहीं था और नींद कम होती चली गई.
लॉकडाउन (Lockdown)
लॉकडाउन ने लोगों की नींद की रूटीन खराब कर दी.दो साल घर पर अपने हिसाब से जिंदगी की रूटीन सेट की. ऑफिस का काम, घर का काम सब चीजों की टाइमिंग बिल्कुल बदल गई. ऐसे में इसका सबसे ज्यादा असर रात की नींद पर पड़ा है
तनाव (Stress)
इस बीच लोगों ने कोरोना की वजह से कई अपनों को खोया है. ऐसे में रात भर नींद न आना, कभी रात को अचानक जग जाना तो कभी बस 2-3 घंटे की ही नींद लेना, इन सब ने लोगों के अंदर एक डर पैदा कर दिया. उन्हें रात को चैन की नींद नहीं आती.
सोशल मीडिया (Social Media)
लॉकडाउन के दौरान घरों में रहकर लोगों ने सोशल मीडिया और ओटीटी प्लैटफॉर्म का खूब इस्तेमाल किया. ऐसे में उनकी नींद खराब हुई. देर तक मोबाइल पर बने रहना और सुबह जाकर सोना.इन चीजों ने उन्हें इस बीमारी का शिकार बनाया
डॉक्टरों की राय (Doctors Opinion)
जब इस बारे में हमने डॉक्टरों से बात की तो सभी का लगभग यह कहना था कि कोरोना के दौर ने लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर काफी गहरा असर छोड़ा है. लोगों की नींद कम हो गई है, लोग इंसोमनिया का शिकार हो रहे हैं. डॉक्टरों ने कहा कि जब उनके पास ओपीडी में मरीज आते हैं तो वे कोई भी टेस्ट करवाने से घबराते हैं. उनका कहना है कि उन्होंने काफी कुछ देख लिया है अब और हिम्मत नहीं है.
कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने इन दो सालों में कई अपनों को आंखों के सामने मरते देखा है और वे कुछ कर नहीं पाए. उनका ये दर्द और तनाव उन्हें सुकून नहीं देता है.
समाधान (Solution)
अपनी रूटीन तय करें
- समय से सोना, समय से उठना इसको ध्यान रखें. जितना जल्दी हो सके सोने की कोशिश करें और जल्दी उठने का प्रयास करें.
- योगा एक्सरसाइज आपके बॉडी को फिट रखेगा और आपके मन को भी स्वस्थ रखेगा.
- मेडिटेशन करने से आपका ध्यान एकाग्र होगा और काम करने में मन लगेगा
- खाने की रूटीन को ठीक करें, सही समय पर खाना और बाहर के खाने से परहेज करें
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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