अक्सर कई लोगों को बार-बार पेट, त्वचा और बाल से जुड़ी परेशानियों के अलावा बुखार, थकान, सूजन, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द आदि का सामना करना पड़ता है. ऐसा ऑटोइम्यून बीमारी (Autoimmune Disease) के कारण हो सकता है. दरअसल, ऑटोइम्यून बीमारियां वह होती हैं, जिसमें हमारा इम्यून सिस्टम (Immune System) ही हमारे शरीर को कोशिकाओं पर हमला करने लगता है और शरीर को नुकसान पहुंचाता है. ऐसे में लोग कई तरह की गंभीर बीमारियों के शिकार हो जाते हैं. बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि ऑटोइम्यून बीमारियां क्यों होती हैं और इसका इलाज क्या है. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है...
बता दें कि इम्यून सिस्टम शरीर को स्वस्थ रखने और बीमारियों से बचाने के लिए एंटीबॉडी बनाने का काम करता है. लेकिन, कई बार ऑटोइम्यून बीमारियों में कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगता है और इससे व्यक्ति को कई गंभीर बीमारियां घेर लेती हैं. गठिया, ल्यूपस, एलोपेसिया यानी पैच में बाल झड़ना, पेट संबंधी समस्याएं, सोरायसिस, सीलिएक रोग, अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसी बीमारियां ऑटोइम्यून बीमारियां ही हैं.
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ऑटोइम्यून बीमारी के कारण (Causes Of Autoimmune Disease)
ऑटोइम्यून बीमारियों का सटीक कारण फिलहाल अभी ज्ञात नहीं हैं, हालांकि इसके लिए आमतौर पर व्यक्ति के जीन को एक प्रमुख जोखिम कारक माना जाता है. वहीं कुछ वायरस, बैक्टीरिया या माइक्रोन्यूट्रिएंट्स भी हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसके अलावा कुछ दवाओं के सेवन से भी इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है. ऑटोइम्यून बीमारियों के लिए जिम्मेदार अन्य जोखिम कारकों में ये भी हैं शामिल...
- स्मोकिंग
- पारिवारिक इतिहास
- स्टेनिन या एंटीबायोटिक दवाओं के कारण
- वायरस, बैक्टीरिया या विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने के कारण
- यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम है.
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क्या है ऑटोइम्यून बीमारियों का इलाज (Autoimmune Disease Treatment)
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार ऑटोइम्यून बीमारियों का फिलहाल कोई इलाज नहीं मिल पाया है, लेकिन इसके लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है. दरअसल हर व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली, आनुवंशिकी और वातावरण भिन्न हो सकती है. ऐसे में इसके आधार पर ही डॉक्टर उपचार प्रदान कर सकते हैं. इसके लिए आमतौर पर डॉक्टर कुछ दर्द दवाएं, इंसुलिन इंजेक्शन, प्लाज्मा एक्सचेंज, कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, रैश क्रीम आदि का सुझाव दे सकते हैं. साथ ही जीवनशैली में कुछ बदलाव और सप्लीमेंट्स भी दे सकते हैं, जिससे लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है.
Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.
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