डीएनए हिंदीः एपिलेप्सी यानी मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसकी वजह से मरीज को बार-बार दौरे पड़ते हैं. बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि दुनिया भर में 50 मिलियन मिर्गी रोगी हैं और इनमें से 80 प्रतिशत विकासशील देशों में (Epilepsy) रहते हैं. इसके अलावा भारत में लगभग 10 मिलियन लोग मिर्गी से जुड़े दौरे का अनुभव करते हैं. आज हम आपको कुछ ऐसी चीजों के बारे में बता रहे हैं, जो मिर्गी के अटैक्स के लक्षणों को बढ़ा देते हैं. ऐसे में मिर्गी के मरीजों (Epilepsy Causes) को इन चीजों से बचाव जरूर करना चाहिए. ऐसे में अगर आप भी मिर्गी की समस्या से (Epilepsy Attack) जूझ रहे हैं तो इन खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है. आइए जानते हैं कौन-कौन सी हैं वो चीजें तो मिर्गी के लक्षणों को ट्रिगर करती हैं..
मिर्गी को ट्रिगर करने वाले कारक
- नींद की कमी या इर्रेगुलर स्लीप पैटर्न के कारण कुछ व्यक्तियों में दौरे का खतरा बढ़ जाता है.
- भावनात्मक तनाव या चिंता कुछ लोगों में दौरे का कारण बनता है.
- इसके अलावा कुछ दृश्य उत्तेजनाएं, जैसे चमकती रोशनी या पैटर्न, कुछ व्यक्तियों में अटैक को ट्रिगर कर सकती हैं और इसे फोटोसेंसिटिव मिर्गी के नाम से जाना जाता है.
- वहीं रोशनी के समान, तेजी से टिमटिमाती स्क्रीन, जैसे कि कुछ वीडियो गेम या कंप्यूटर प्रोग्राम पर कुछ लोगों के लिए ट्रिगर हो सकती हैं.
- बता दें कि ज्यादातर शराब का सेवन और कुछ मनोरंजक दवाएं अटैक के जोखिम को बढ़ा सकती हैं.
- वहीं मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति जो दवा ले रहे हैं उसका डोज न लेने या डाइट फॉलो न करने से अटैक का खतरा बढ़ सकता है.
- इसके अलावा कुछ महिलाओं के लिए पीरियड्स के दौरान हार्मोनल चेंजेस एक ट्रिगर हो सकता है.
- कुछ मामलों में बीमारी या बुखार अटैक्स को ट्रिगर कर सकता है.
दरअसल मिर्गी को एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर माना जाता है जिसमें ब्रेन की अचानक और अनकंट्रोल इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी के कारण अटैक्स होते हैं.
मिर्गी का इलाज क्या है
बता दें की दौरे को प्रबंधित करने और नियंत्रित करने के लिए आमतौर पर एंटीपीलेप्टिक दवाएं दी जाती हैं. ये दवाएं ब्रेन में इलेक्ट्रिक एक्टिविटी को स्थिर करने का काम करती हैं. इसके अलावा कुछ मामलों में दौरे शुरू करने के लिए जिम्मेदार ब्रेन टिश्यू को हटाने या बदलने के लिए सर्जरी की सिफारिश की जा सकती है. वहीं अन्य ट्रीटमेंट ऑप्शन्स में केटोजेनिक डाइट, जिसमें फैट ज्यादा और कार्बोहाइड्रेट कम होता है, जैसे ट्रीटमेंट शामिल है.
(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले हमेशा अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.