डायबिटीज (Diabetes) या मधुमेह आज के दौर की एक बड़ी बीमारी बनकर सामने खड़ी है. भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, यही वजह है कि भारत को 'विश्व की मधुमेह राजधानी' भी कहा जाने लगा है. किसी को डायबिटीज अगर एक बार हो जाए तो जीवनभर पीछा नहीं छोड़ती है.
डायबिटीज में कुछ मरीजों को डॉक्टर इंसुलिन का इंजेक्शन (Diabetes Insulin Injection) लेने की सलाह देते हैं, इसकी मदद से हाई ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में किया जाता है. आइए जानते हैं इंसुलिन क्या होता है और डायबिटीज के मरीजों को कब पड़ती है इसकी जरूरत....
क्या होता है इंसुलिन? (What is Insulin)
इंसुलिन एक खास तरीके का हार्मोन होता है, जो पैंक्रियाज में बनता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक पैंक्रियाज के अंदर बहुत सारी कोशिकाएं होती हैं, इन्हीं में से एक कोशिका जिसे बीटा सेल कहा जाता है, इसी के अंदर इंसुलिन का निर्माण होता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इंसुलिन एक पेप्टाइड कैटेगरी का हार्मोन है, जो कि 51 अमीनो एसिड से बनता है.
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इंसुलिन शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा को कंट्रोल में रखने का काम करता है, हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक जब शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है, तो इंसुलिन इसे लिवर में स्टोर कर देता है और तब तक नहीं निकलने देता जब तक शुगर लेवल कंट्रोल में न आ जाए.
किसे पड़ती है इंसुलिन की जरूरत?
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जिन लोगों की बॉडी पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन प्रोड्यूस नहीं करती है या इंसुलिन की कमी होती है, उन्हें बाहर से इंसुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ता है. खासतौर से टाइप 1 डायबिटीज के केस में.
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डायबिटीज के दो मेजर फैक्टर हैं, इसमें पहला है बॉडी में इंसुलिन रेजिस्टेंस और दूसरा इंसुलिन डिफिशिएंसी. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक इंसुलिन रेजिस्टेंस का मतलब है आपकी बॉडी बन रही इंसुलिन कितना कारगर तरीके से काम रही है और डिफिशिएंसी यानी इंसुलिन कि जो मात्रा प्रोड्यूस हो रही है वह कम है.
कब पड़ती है इंसुलिन की जरूरत
- सर्जरी के दौरान
- प्रेग्नेंसी के केस में
- जब दवा के बावजूद शुगर कंट्रोल ना हो
- शुगर लगातार खतरे के निशान से ऊपर हो
Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.
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