World Hemophilia Day: मामूली खरोंच को भी जानलेवा बना देती है यह बीमारी, जानें कारण और लक्षण

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 17, 2022, 07:06 AM IST

हीमोफीलिया एक आनुवांशिक बीमारी है जो खून में थाम्ब्रोप्लास्टिन या क्लॉटिंग फैक्टर की कमी की वजह से होती है.

डीएनए हिंदी: आज वर्ल्ड हीमोफीलिया डे (World Hemophilia Day 2022) है. हीमोफीलिया खून से जुड़ी जेनेटिक समस्या है जिससे पीड़ित व्यक्ति को चोट लगने पर खून का थक्का नहीं जम पाता है. यानी व्यक्ति को हल्की सी चोट लगने पर भी खून नहीं रुकता है और कई बार ज्यादा खून बहजाने से यह मौत का कारण बन जाता है. यह बीमारी शरीर में मौजूद कुछ खास प्रोटीन्स की कमी के कारण होती है.ऐसे में हर व्यक्ति को इसकी वजह, लक्षण और उपचार के बारे में पता होना जरूरी है. आज का हमारा लेख इसी विषय पर आधारित है. आज हम आपको हीमोफीलिया के लक्षण, कारण और उपचार के बारे में बताएंगे. 

इससे पहले जान लेते हैं आज के दिन को मनाने की शुरुआत कब और क्यों हुई?
वर्ल्ड हीमोफीलिया डे यानी विश्व हीमोफीलिया दिवस को मनाने का मकसद लोगों को इस खतरनाक समस्या के बारे में जागरूक करना है. 17 अप्रैल 1989 से इस खास दिन को मनाने की शुरुआत की गई थी. वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया के संस्थापक फ्रैंक कैनबेल के जन्मदिन के अवसर पर 17 अप्रैल को वर्ल्ड हीमोफीलिया डे मनाया जाता है.

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क्या है हीमोफीलिया?
गौरतलब है कि जब भी हमें कहीं चोट लगती है तो घाव से खून बहने लगता है. इस बहते खून को रोकने के लिए हमारे शरीर में एक ऑटो सिस्टम होता है. हमारा शरीर घाव के आसपास खून का थक्का जमा देता है जिससे थोड़ी देर में खून निकलना बंद हो जाता है. हालांकि हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति के साथ ऐसा नहीं हो पाता है. ऐसे व्यक्ति को चोट लगने पर खून का थक्का नहीं जम पाता है जिससे उनका खून लगातार बहता रहता है.

हीमोफीलिया के कारण
हीमोफीलिया एक आनुवांशिक बीमारी है जो खून में थाम्ब्रोप्लास्टिन या क्लॉटिंग फैक्टर की कमी की वजह से होती है. जब शरीर से खून बहता है तब रक्त से जुड़ी कोशिकाएं ब्लड क्लॉट बनाकर खून के बहाव को रोकती हैं लेकिन जब इस क्लॉटिंग फैक्टर में कमी आती है तब ये हीमोफीलिया का कारण बन सकती हैं. अधिकतर लोगों को यह समस्या माता पिता से होती है लेकिन कुछ मामलों में मरीज के जींस में कुछ ऐसे परिवर्तन हो जाते हैं जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती.

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हीमोफीलिया के लक्षण

इसके अलावा मल से खून आना, गहरे नीले घाव का दिखाई देना, बिना किसी चोट के शरीर का नीला पड़ जाना, चिड़चिड़ाहट महसूस करना आदि. ये अन्य लक्षण दिखने पर भी तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

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कैसे करें बचाव?
यदि आपको भी कुछ ऐसे लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. खून पतला करने वाली दवाइयों से परहेज करें. अपनी डाइट में विटामिन और मिनरल्स से भरपूर चीजें शामिल करें. इसके अलावा रोजाना एक्सरसाइज और योग करें. मांसपेशियों और मजबूत हड्डियों के लिए कैल्शियम का सेवन करें. अत्यधिक शारीरिक गतिविधियों को करने से बचें. समय-समय पर अपने दांत और मसूड़ों की जांच करवाएं.
 

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