World Lung Cancer Day 2023: ये है लंग्स कैंसर के सबसे पहला लक्षण? इन चीजों से साफ होगा फेफड़े में फंसा कचरा

Written By ऋतु सिंह | Updated: Aug 01, 2023, 10:15 AM IST

Lung Cancer Symptoms

अधिकांश फेफड़ों के कैंसर फैलने से पहले कोई लक्षण नजर नहीं आते लेकिन आपके फेफड़ों में ज्यादा कफ या बलगम के साथ खांसी आती है या सांस संबंधी परेशानी रहती है तो आपके लिए लंग्स की नियमित जांच कराना जरूरी है.

डीएनए हिंदीः अलग-अलग लोगों में फेफड़ों के कैंसर के अलग-अलग लक्षण होते हैं. कुछ लोगों में फेफड़ों से संबंधित लक्षण होते हैं. कुछ लोग जिनके फेफड़ों का कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों (मेटास्टेसाइज्ड) में फैल जाने के बाद लक्षण नजर आते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि कोई भी संकेत कैंसर होने से पहले लंग्स से शरीर को नहीं मिलता है. 

फेफड़ों के कैंसर होने से पहले अगर आपको लंग्स से जुड़ी कोई भी बीमारी रही हो या आप टीबी, अस्थमा, एलर्जी, कोरोना या लंग्स इंफेक्शन के शिकार हुए हों तो संभवत: आपको अपने लंग्स की जांच कराते रहना चाहिए. इतनी ही नहीं, अगर आप स्कोकिंग करते हैं या गुटखा-पान आदि खाते हैं तो भी आपमें लंग कैंसर होने की संभावना ज्यादा होगी. तो चलिए जानें कि लंग्स में दिखने वाले कौन से लक्षण कैंसर का भी हो सकते हैं.

  1. खांसी जो बदतर होती जा रही हो.
  2. छाती में दर्द या भारीपन का महसूस होना.
  3. सांस लेने में कठिनाई.
  4. घरघराहट की आवाज का आना.
  5. भूख में कमी.
  6. सीने में दर्द जो अक्सर गहरी सांस लेने, खांसने या हंसने पर बढ़ जाता है.
  7. खूनी खांसी या बलगम का सीने में बने रहना.
  8. हर वक्त बहुत ज्यादा थकान महसूस होना.
  9. बिना किसी ज्ञात कारण के वजन कम होना.

फेफड़ों के कैंसर के साथ कभी-कभी होने वाले अन्य परिवर्तनों में निमोनिया के बार-बार दौरे पड़ना और फेफड़ों में अंदर सूजन या बढ़े हुए लिम्फ नोड्स (ग्रंथियां) भी शामिल होते हैं.

फेफड़ों का कैंसर शरीर के अन्य भागों में फैलने पर दिखते हैं ऐसे लक्षण

  1. हड्डी में दर्द (जैसे पीठ या कूल्हों में दर्द)
  2. मस्तिष्क में कैंसर फैलने से तंत्रिका तंत्र में परिवर्तन (जैसे सिरदर्द, कमजोरी या हाथ या पैर का सुन्न होना, चक्कर आना, संतुलन की समस्या या दौरे पड़ना)
  3. कैंसर के लीवर तक फैलने से त्वचा और आंखों का पीला पड़ना (पीलिया)।
  4. लिम्फ नोड्स की सूजन (प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाओं का संग्रह) जैसे कि गर्दन में या कॉलरबोन के ऊपर

लंग्स को क्लीन और ताकत देने के लिए ऐसी रखें डाइट

हल्दी-  हल्दी का रोजाना सेवन फेफड़े की सूजन से लेकर इंफेक्शन तक को दूर करता है. हल्दी में करक्यूमिन नामक यौगिक की मौजूदगी फेफड़ों को प्राकृतिक रूप से साफ करने में मदद करती है और शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करती है. साथ ही ये प्रतिरक्षा को मजबूत कर सीने में जमे बलगम को साफ करती है. आप बीमारियों को दूर रखने के लिए कच्ची हल्दी खा सकते हैं या दूध के साथ पाउडर का उपयोग कर सकते हैं.

​ग्रीन टी- ये आपके फेफड़ों को साफ करने का आसान उपाय है. पॉलीफेनोल्स से भरपूर ग्रीन टी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो फेफड़ों में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं. जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार ग्रीन टी और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) में बहुत फायदेमंद होती है. प्रतिदिन दो कप ग्रीन टी पीने से सीओपीडी का खतरा कम होता है.

पुदीना चाय- श्वसन संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए पुदीना पुराना उपचार है. गर्म पुदीने की चाय फेफड़ों के संक्रमण और निमोनिया के कारण होने वाले बलगम जमाव और सूजन को दूरकर गले की खराश को ठीक कर सकती है.

अदरक- खांसी और सर्दी को ठीक करने वाला अदरक छाती की सूजन को कम कर बलगम को बाहर करता है. ये एयर पाइप को डिटॉक्स कर गंदगी को बाहर कर देता है. इसमें पोटेशियम, मैग्नीशियम, बीटा-कैरोटीन और जिंक सहित कई विटामिन और खनिज होते हैं. कुछ अध्ययनों के अनुसार, अदरक का अर्क फेफड़ों के कैंसर कोशिकाओं को मारने में भी मदद करता है. 

शहद- जीवाणुरोधी गुणों से भरा शहद सांस संबंधी समस्याओं को दूर करने और एंटी सेप्टिक की तरह लंग्स के इंफेक्शन को ठीक करता है.  शहद में एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं. जेएएमए पेडियाट्रिक्स में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार शहद अपर रेस्पेरेटरी सिस्टम के संक्रमण के कारण होने वाली खांसी में नेचुरल दवा है. अध्ययन में पाया गया कि सोने से 30 मिनट पहले शहद की एक खुराक देने से खांसी से राहत मिली और नींद की कठिनाई का इलाज करने में मदद मिली.

लहसुन- भले ही आपको कच्चे लहसुन का स्वाद पसंद न आए, लेकिन इसके अद्भुत स्वास्थ्य लाभ इसे खाने पर मजबूर कर देंगे. लहसुन में एलिसिन नामक एक यौगिक होता है, जो एक शक्तिशाली एंटीबायोटिक एजेंट के रूप में कार्य करता है और श्वसन संक्रमण को दूर करने में मदद करता है जो हमारे फेफड़ों को अवरुद्ध कर देता है और सांस फूलने और जमाव का कारण बनता है. यह सूजन को कम करने, अस्थमा में सुधार और फेफड़ों के कैंसर के खतरे को कम करने में भी मदद करता है

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर