डीएनए हिंदी: हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day) मनाया जाता है. इस खास दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों के बीच मलेरिया जैसी घातक बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना है. हर साल भारत समेत दुनिया भर के देशों के हजारों लोग मच्छरों से होने वाली बीमारियों का शिकार होते हैं. मलेरिया भी इन्हीं में से एक है.
कैसे होता है मलेरिया?
यह मच्छरों से होने वाला एक तरह का संक्रामक रोग है जो प्लाज्मोडियम वीवेक्स (Plasmodium vivax) नामक वायरस के कारण होता है. मादा मच्छर एनोफिलीज के काटने से यह वायरस मानव शरीर में प्रवेश करता है. इसके बाद यह जीवाणु लिवर और रक्त कोशिकाओं (Blood Cells) को संक्रमित करके व्यक्ति को बीमार बना देता है. यानी मादा एनाफिलीज मच्छर अपनी लार के माध्यम से प्लास्मोडियम परजीवी फैलाती हैं जो मलेरिया का कारण बनता है.
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क्या हैं लक्षण?
- तेज बुखार और सिरदर्द
- उल्टी
- जी मिचलाना
- पसीना आना
- मांसपेशियों में दर्द होना
- शरीर में ठंड लगना
- खांसी आना
- मल में खून आना
- छाती और पेट में तेज दर्द
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बता दें कि संक्रमण के बाद आमतौर पर 10 दिन से 4 सप्ताह में मलेरिया के लक्षण विकसित हो सकते हैं. कई बार इसमें ज्यादा समय भी लग जाता है. यदि समय रहते इसका इलाज नहीं किया जाए तो मलेरिया के अन्य गंभीर प्रभावों में किडनी फेल होना, लिवर फेल होना, एडिमा और ब्रेन में इन्फेक्शन शामिल हो सकते हैं.
कैसे करें बचाव?
- मलेरिया से बचाव के लिए अपने आस-पास रुके हुए पानी के स्थानों को मिट्टी से भर दें या फिर उस पानी में मिट्टी का तेल या डीजल डाल दें. इससे उस स्थान पर मच्छर नहीं आएंगें.
- घर के आस-पास समय-समय पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करवाते रहें.
- जहां तक संभव हो पूरे आस्तीन के कपड़े पहनें. इसके अलावा शरीर के हर हिस्से को ढक कर रखने की कोशिश करें.
- तेज बुखार या पसीना आने पर चिकित्सक से संपर्क करें.
- मच्छरदानी में सोएं.
- खुले हिस्से पर मॉसक्युटो रिप्लेंट लगाएं.
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