6 दिसंबर: अयोध्या में बाबरी विध्वंस हुआ और यूपी में सिमटती गई कांग्रेस, सिर्फ़ दो विधायक बचे

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Dec 06, 2022, 05:55 PM IST

लगातार कमजोर होती गई कांग्रेस

Babri Masjid Congress Party Connection: यूपी प्रदेश में कई दशकों तक कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी. अब प्रदेश में कांग्रेस के सिर्फ़ दो विधायक हैं.

डीएनए हिंदी: साल 1996 के पहले तक कांग्रेस (Congress) पार्टी उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी हुआ करती थी. एनडी तिवारी (N D Tiwari) की अगुवाई में साल 1989 तक कांग्रेस की आखिरी सरकार थी. 1996 में हुए बाबरी विध्वंस (Babri Masjid Demolition) और उसके पहले मंडल आंदोलन ने यूपी में ऐसे समीकरण पैदा किए कि कांग्रेस एकदम साफ हो गई. मौजूदा समय में कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. बाबरी विध्वंस की बरसी के इस मौके पर यूपी के विधान परिषद (UP Legislative Council) में कांग्रेस का एक भी सदस्य नहीं हैं. यूपी की विधानसभा (Uttar Pradesh Assembly) में कांग्रेस के सिर्फ़ दो विधायक बचे हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस का बुरा हाल रहा और सिर्फ़ सोनिया गांधी अपनी रायबरेली सीट से जीत सकीं. 2019 में कांग्रेस के अध्यक्ष रहे राहुल गांधी भी अपने लोकसभा क्षेत्र अमेठी में चुनाव हार गए.

6 दिसंबर 1996 को जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ढहाया गया, तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. सरकार के मुखिया यानी प्रधानमंत्री थे पी वी नरसिम्हा राव. इस कांड का जिम्मेदार नरसिम्हा राव और कांग्रेस को भी माना गया. इसके बाद से ही यूपी में कांग्रेस चुनाव दर चुनाव गर्त में समाती गई. यूपी में कई दशकों तक लगातार शासन वाली कांग्रेस 1989 के बाद से सत्ता में वापसी नहीं कर पाई है. अब तो हालात ऐसे हैं कि वह विधान परिषद से पूरी तरह गायब है और विधानसभा में उसके सिर्फ़ दो विधायक बचे हैं.

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कांग्रेस को खा गई सपा और बसपा
मंडल आंदोलन से उपजी समाजवादी पार्टी (एसपी) और फिर बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल किया. बाद में बीजेपी के उदय के साथ ही कांग्रेस शून्य की ओर बढ़ चली. कांग्रेस का वोटबैंक कहे जाने वाले ब्राह्मण, दलित और मुस्लिम मतदाता भी कांग्रेस से छिटकते गए. सपा ने मुस्लिमों और ओबीसी को लपका. बाद में मायावती ने दलितों और ब्राह्मणों को अपने पाले में कर लिया. 

साल  कांग्रेस की सीटें
1996 33
2002 16
2007 22
2012 28
2017 7
2022 2

वरिष्ठ कांग्रेसी सलमान खुर्शीद ने अपनी पुस्तक 'सनराइज ओवर अयोध्या: नेशनहुड इन आवर टाइम्स' में 1992 के बाद से राजनीतिक परिजदृश्य में बदलाव के बारे में विस्तार से लिखा है. बाबरी विध्वंस के बाद जब विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी की सरकार बनी. सरकार सिर्फ़ 13 दिन ही चली लेकिन इसने यूपी में बीजेपी के उदय और कांग्रेस के पतन की नींव रख दी. सलमान खुर्शीद ने अपनी किताब में ज़िक्र किया है कि कैसे नरसिम्हा राव ने विध्वंस के एक दिन पहले मंत्रिपरिषद की बैठक अचानक खत्म कर दी थी. इस मीटिंग में नरसिम्हा राव ने सिर्फ़ इतना कहा, 'मेरे साथ सहानुभूति रखें.'

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मुश्किल होती गई कांग्रेस की डगर
हालांकि, कांग्रेस को उत्तर प्रदेश और बिहार में मुसलमानों से कोई सहानुभूति नहीं मिली. यूपी में सपा ने और बिहार में लालू यादव की आरजेडी ने मुस्लिम वोटबैंक को जबरदस्त तरीके से कैप्चर कर लिया. सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव को 'मौलाना' की उपाधि दी गई. इसने सपा को एक मजबूत क्षेत्रीय दल के रूप में उभरने का मार्ग प्रशस्त किया. सपा राज्य में मुसलमानों के बीच लोकप्रिय हुई और तीन बार सत्ता में वापस आई.

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बाबरी विध्वंस के बाद नरसिम्हा राव ने उत्तर प्रदेश खी कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त कर दिया. एक हफ्ते बाद हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में की बीजेपी सरकारों को भी उखाड़ फेंका गया. बर्खास्तगी के बाद जब चुनाव हुए, तो बीजेपी उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. कांग्रेस राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में सत्ता में आ गई थी. मध्य प्रदेश में बीजेपी विकल्प के रूप में उभरी. एमपी में बीजेपी 1993 से 2003 तक सरकार में रही. तब से 2018 में एक साल को छोड़कर, बीजेपी लगातार शासन कर रही है.

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