DNA Explainer: एंटी स्मॉग टावर से दिल्ली में थमेगा Air Pollution का कहर?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Dec 01, 2021, 06:43 PM IST

दिल्ली में लगा स्मॉग टावर. (फोटो सोर्स- ट्विटर@AamAadmiParty)

दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण (Air Pollution) की समस्या से निजात पाने के लिए एंटी स्मॉग टावर 2 जगहों पर लगाया है. इसके असर पर IIT स्टडी कर रही है.

डीएनए हिंदी: दिल्ली में जैसे ही सर्दी दस्तक देती है वायु प्रदूषण अपने खतरनाक स्तर पर पहुंचने लगता है. राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) नवंबर से ही अलग-अलग कारणों की वजह से प्रभावित होने लगता है. प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने दो जगहों पर एंटी स्मॉग टावर (Anti Smog Tower) लगाए हैं. पहला टावर कनॉट प्लेस के पास शिवाजी स्टेडियम मेट्रो स्टेशन के पीछे लगाया गया है, वहीं दूसार स्मॉग टावर आनंद विहार में लगाया गया है.

एंटी स्मॉग टावर का मुख्य मकसद यह है कि सर्दी के दिनों में दिल्ली की जहरीली होती हवा को शुद्ध किया जाए और वायु प्रदूषण का स्तर सुधारा जा सके. वायु प्रदूषण लगातार स्वास्थ्य के लिए राष्ट्रीय राजधानी में खतरा बना हुआ है. दिल्ली में अक्टूबर से लेकर सर्दियों के अंत तक प्रदूषण का स्तर बेहद संवेदनशील रहता है. नवंबर से पहले ही प्रदूषण के लक्षण दिखने लगते हैं. आसमान में  प्रदूषण का एक धुंध नजर आने लगता है, जिसकी वजह से लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है. वहीं सड़कों पर भी दृश्यता (Visibility) कम हो जाती है, जिसकी वजह से आवाजाही भी प्रभावित होती है.

क्या स्मॉग टावर से साफ होगी दिल्ली की हवा?

दिल्ली में प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए दिल्ली सरकार ने स्मॉग टावर लगाया है. दावा है कि प्रदूषण का स्तर इससे सुधरेगा. कनॉट प्लेस के पास लगा स्मॉग टावर 25 मीटर ऊंचा है. यह करीब 8 मंजिला इमारत (82 फीट) के बराबर है. इसकी चौड़ाई करीब 18 मीटर है. टावर के ऊपर 6 मीटर ऊंची छतरी बनाई गई है. इसके बेस पर 40 बड़े फैन हर तरफ लगाए गए हैं जिससे ये तेजी से हवा को साफ करें. इन पंखों से 1 किलोमीटर आसपास के क्षेत्र की हवा को साफ किया जा रहा है. ये हानिकारक कणों को एक फिल्टर के जरिए सोखते हैं और प्रति सेकेंड 1,000 क्यूबिक मीटर साफ हवा वातावरण में छोड़ते हैं.

स्मॉग टावर कितनी दूर तक की हवा कर सकता है साफ?

स्मॉग टावर बनाने वाले इंजीनियरों का दावा है कि यह संयंत्र 1 वर्ग किलोमीटर के दायरे में हानिकारक कणों की संख्या आधी करने में सक्षम है. प्रत्येक पंखा 25 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड हवा डिस्चार्ज करता है. पूरा टावर 1,000 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड हवा उत्पादित करने में सक्षम है. टावर के अंदर दो परतों में 5,000 फिल्टर हैं. फिल्टर और पंखे संयुक्त राज्य अमेरिका से आयात किए गए हैं.

कैसे काम करता है स्मॉग टावर?

दिल्ली के स्मॉग टावर प्रोजेक्ट के प्रभारी अनवर अली खान के मुताबिक यह टावर मिनेसोटा यूनिवर्सिटी की ओर से विकसित डाउनड्राफ्ट एयर क्लीनिंग सिस्टम पर आधारित है. IIT बॉम्बे ने इस टेक्नोलॉजी पर काम करने के लिए मिनेसोटा यूनिवर्सिटी से सहयोग लिया है. इसे टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड की ओर से बनाया गया है. स्मॉग टावर प्रदूषित हवा को 24 मीटर की ऊंचाई तक अवशोषित करता है और फिल्टर की गई हवा को टावर के नीचे, जमीन से लगभग 10 मीटर की ऊंचाई पर छोड़ता है. जब टावर के निचले हिस्से में पंखे ऑपरेट करते हैं तो निगेटिव प्रेशर के जरिए ऊपर हवा को फिल्टर अवशोषित करता है.

फिल्टर में 'मैक्रो' लेयर में जाकर 10 माइक्रोन और उससे बड़े कणों फंसते हैं जबकि 'माइक्रो' लेयर में लगभग 0.3 माइक्रोन के छोटे कणों को फिल्टर किया जाता है. स्मॉग टॉवर के वास्तविक प्रभाव का आकलन आईआईटी-बॉम्बे और आईआईटी-दिल्ली की ओर से किया जा रहा है. ये संस्थाएं अगले 2 साल तक पर्यावरण पर पड़े प्रभाव का अध्ययन करेंगी. यह भी परखा जाएगा कि किस तरह से अलग-अलग मौसम में यह टावर काम कर रहा है और हवा के प्रवाह के साथ पीएम 2.5 का स्तर कैसे बदल रहा है.

क्या हैं स्मॉग टावर की कमियां? 

स्मॉग टावर की कीमत बेहद ज्यादा है. बड़े स्तर पर अगर इसे सरकार लगाने की कोशिश करे तो बड़े फंड की जरूरत पड़ेगी. सिर्फ एक 'स्मॉग टॉवर' की कीमत 2 मिलियन अमेरिकी डॉलर है. आलोचकों का कहना है कि इस मानक से पूरे शहर में हवा को साफ करने के लिए पर्याप्त संख्या में टावरों का निर्माण करने के लिए भारी मात्रा में सार्वजनिक धन खर्च होगा. एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि इसकी जगह, स्मॉग के स्रोतों से छुटकारा पाने की दिशा में काम करने की जरूरत है. वहीं इतनी बड़ी राशि का निवेश किया जाए.

क्या हैं प्रदूषण के कारक?

दिल्ली में प्रदूषण के अलग-अलग कारण हैं. वाहनों से बड़ी संख्या में कार्बन उत्सर्जन होता है. भारी और लघु उद्योग, लगातार दिल्ली-एनसीआर में कंस्ट्रक्शन, अपशिष्ट  ईंधनों का जलना और पड़ोसी राज्यों में फसलों की पराली का जलना, दिल्ली में प्रदूषण स्तर बढ़ने के प्रमुख कारणों में शुमार हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 शहर, भारत में हैं.

द लैंसेट में 2020 में प्रकाशित एक स्टडी में दावा किया गया है कि 2019 में वायु प्रदूषण की वजह से 1.67 मिलियन मौतें हुईं, जिसमें दिल्ली में लगभग 17,500 लोगों ने जान गंवाई है. भारत ही नहीं, चीन भी वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है. चीन ने जियान शहर में एक बड़ा स्मॉग टावर बनाया है, लेकिन दूसरे शहरों के लिए चीन ने यह तरीका नहीं अपनाया है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह साबित करने के लिए अभी तक पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि स्मॉग टावर्स हवा को साफ करने में मददगार हैं.

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