डीएनए हिन्दी: गुजरात की चुनावी (Gujarat Election) तस्वीर साफ हो गई है. भारतीय जनता पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने को तैयार है. सीट के लिहाज से यह इतिहास की सबसे बड़ी जीत है. 182 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी को 156 सीटों पर जीत मिलती हुई दिखाई दे रही है.
अगर कोई बड़ा उलटफेर न हो तो गुजरात के इतिहास की सबसे बड़ी जीत बीजेपी के नाम होने जा रही है. खबर लिखे जाने तक बीजेपी 156 सीटों पर आगे थी. वहीं, कांग्रेस 17 और आम आदमी पार्टी 5 सीटों पर सिमटी दिख रही है. 4 सीट पर निर्दलीयों को बढ़त मिली हुई है. भले ही सीट के हिसाब से यह सबसे बड़ी जीत हो लेकिन वोट शेयर के हिसाब से यह दूसरी सबसे बड़ी जीत है. इस चुनाव में बीजेपी को 52.50 फीसदी वोट मिलता दिख रहा है. वहीं, इसके पहले 1985 में इंदिरा गांधी की मौत के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को 149 सीटों पर जीत मिली थी. उस चुनाव में कांग्रेस को 55.55 फीसदी वोट मिले थे. उस वक्त प्रदेश के मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी थे.
गुजरात शुरू से ही बीजेपी का गढ़ रहा है. फिलहाल यह देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का होम स्टेट भी है. बीजेपी की विधानसभा चुनावों में यह लगातार 7वीं जीत है. आइए अब हम यह समझने की कोशिश करते हैं इस गुजरात की इस प्रचंड जीत से देश और भाजपा की राजनीति पर क्या असर हो सकता है.
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बीजेपी के अंदर और मजबूत होंगे अमित शाह
भाजपा के दोनों शीर्ष नेता गुजरात से आते हैं. गुजरात उनकी बड़ी ताकत है. अगर गुजरात में बीजेपी हारती तो पार्टी के भीतर नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और अमित शाह (Amit Shah) के विरोध में भी आवाजें उठने लगतीं. नाम न बताने की शर्त पर बीजेपी के एक नेता का कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद 75 साल से ज्यादा उम्र के नताओं को सक्रिय राजनीति से बाहर का रास्ता दिखाया है. फिलहाल मोदी 72 साल के हैं. अगले लोकसभा चुनाव के दौरान वह 74 साल के हो जाएंगे. ऐसे में यह माना जा रहा है कि अगला चुनाव मोदी के नेतृत्व में ही बीजेपी लड़ेगी, उसके 1-2 साल बाद वह नए नेता का चुनाव करेगी. अब मोदी के बाद भाजपा का नेतृत्व कौन करेगा इसकी तैयारी शुरू हो गई है. इस दौर में कई लोग शामिल हैं. अमित शाह उनमें से एक बड़ा नाम है. गुजरात की इस जीत से अमित शाह की ताकत और बढ़ेगी. ध्यान रहे कि अमित शाह ने इस चुनाव में खुद को झोंक दिया था. बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से लेकर राष्ट्रीय स्तर के नेताओं से सीधे संवाद करते थे.
बीजेपी के अन्य नेताओं पर भी बढ़ेगा दबाव
इसमें कहीं कोई दो मत नहीं कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह की ताकत गुजरात है. लोकसभा में गुजरात की 26 में से 26 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. इसके दो संदेश निकलेंगे. पार्टी के राज्यस्तर के नेताओं पर यह दबाव होगा कि वे अपने राज्य से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीत कर पार्टी में अपनी अहमियत साबित करें.
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विपक्षी खेमे में कांग्रेस की स्वीकार्यता और घटेगी
इस चुनाव में कांग्रेस के लिए सबसे बुरा हुआ. कांग्रेस इस बार बुरी तरह हारी है. आमतौर गुजारत में पिछले कई चुनाव से बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर होती थी. इस बार आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को बहुत नुकसान किया है. केजरीवाल की इस पार्टी ने कांग्रेसी वोट बैंक में सेंध लगाया है. भले पार्टी 5 सीट जीत पाई लेकिन उसे 12.90 फीसदी वोट मिले हैं. गुजरात रिजल्ट के बाद 2024 में कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी गोलबंदी की उम्मीद और कम हो जाएगी. अब तीसरे और चौथे मोर्चे के गठन पर ज्यादा काम होगा.
अनुभव और ऊर्जा दोनों को महत्व दे रही है बीजेपी
बीजेपी देशभर में यह संदेश देने में सफल रही है कि मजबूत संगठनात्मक स्वरूप और जनता के साथ सीधा संवाद कर लंबे समय तक शासन करने की क्षमता रखती है. मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात इसके उदाहरण हैं. एंटी-इनकंबेंसी से बचने के लिए बीजेपी बड़ी संख्या में अपने सीटिंग विधायकों का टिकट काटने से भी पीछे नहीं हटती है. गुजरात और देश के अन्य हिस्सों में यह देखने को मिल रहा है कि बीजेपी अब बुजुर्गों के साथ-साथ नौजवानों को भी चुनाव में बड़ी संख्या में उतार रही है. यानी वह ऊर्जा और अनुभव दोनों को महत्व दे रही है.
क्या गुजरात में कांग्रेस के 'खत्म' कर देगी AAP?
गुजरात का परिणाम कांग्रेस के लिए एक और चुनौती है. यहां आम आदमी पार्टी ने दस्तक दे दी है. सियासी जनाकारों का मानना है कि भले ही सदन में कांग्रेस विपक्ष की भूमिका में हो लेकिन अपने आक्रामक राजनीतिक प्रचार तंत्र के माध्य से आम आदमी पार्टी 'जमीन' पर कांग्रेस से विपक्षी पार्टी का तमगा छीन लेगी. कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि अगले चुनाव में राज्य में कांग्रेस हाशिए पर चली जाएगी और आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच ही सीधा मुकाबला होगा. यानी एक और राज्य में केजरीवाल की पार्टी ने धीरे-धीरे ही सही, लेकिन पैठ जमा ली है. यह सभी स्थापित दलों के लिए बड़ी चुनौती होगी. गुजरात चुनाव के बाद अब आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी मिल जाएगा.
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