Child Mortality Rate: भारत में सुधार लेकिन कई राज्यों में चिंताजनक हैं हालात!

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 26, 2021, 04:42 PM IST

शिशु मृत्युदर के आंकड़ों में भारत में दिख रहा धीमा सुधार (सांकेतिक तस्वीर)

Child Mortality in India: शिशु मृत्युदर ज्यादा होने की कई वजहें होती हैं- मां के पोषण में कमी, पौष्टिक आहार का न होना, जागरूकता और अस्पताल की कमी.

डीएनए हिंदी: भारत में शिशु मृत्युदर (Child Mortality Rate in India) में 30 फीसदी की गिरावट आई है. सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (Sample Registration System) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते कई राज्यों में शिशु मृत्युदर में आई गिरावट की दर बेहद कम हुई है. भारत के कई राज्य ऐसे हैं जहां दूसरे राज्यों की तुलना में स्थितियां बेहद अच्छी या बुरी हैं. केरल और मध्यप्रदेश के बीच अगर तुलना करें तो स्थितियां बिलकुल अलग दिखती हैं. जहां केरल में शिशु मृत्युदर अमेरिका अमेरिका के बराबर है, वहीं मध्य प्रदेश की हालत यमन या सूडान की तरह है. जिन राज्यों में शिशु मृत्युदर अधिक था, वहां सुधार की दर बेहद खराब है. बिहार में पहले शिशु मृत्युदर भयावह स्तर पर थी लेकिन वहां भी सुधार दिख रहा है.

कैसे निर्धारित होती है शिशु मृत्यु दर?

शिशु मृत्युदर प्रति 1000 जीवित जन्मे बच्चों में से एक साल से कम उम्र के बच्चों की मौत की संख्या को कहते हैं. साल 2009 से लेकर 2019 तक, एक दशक में शिशु मृत्युदर 50 फीसदी से घटकर 30 फीसदी तक पहुंची लेकिन ये आंकड़े पड़ोसी देश बांग्लादेश और नेपाल से भी खराब हैं. दोनों देश IMR रेट में 26वें पायदान पर हैं, वहीं भारत, पाकिस्तान से बेहतर स्थिति में है. पाकिस्तान इस लिस्ट में 56वें पायदान पर है, वहीं भारत 30वें पायदान पर है. 

शिशु मृत्युदर में भारतीय राज्यों में लगातार गिरावट आ रही है, साथ ही आंकड़े भी दुरुस्त हो रहे हैं. 2009 से 2014 के बीच 50 से 30वें पायदान पर आना, संतोषजनक रहा था. 11 अंकों का यह फासला, शानदार स्थिति में था लेकिन बीते 5 सालों में आंकड़ों में सुधार और गिरावट की दर बेहद धीमी है.

बिहार आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर (केंद्र शासित प्रदेश) और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों में लगातार सुधार देखने को मिल रहा है. केरल में स्थितियां लगातार बेहतर हो रही हैं. 2011 से लेकर 2015 तक के बीच, यह अंक तालिका में 6वें पायदान पर पहुंचा, जो अमेरिका के बराबर है. लगातार 5 सालों में यहां स्थितियां बेहतर हो रही हैं.

किन राज्यो में हैं सबसे खराब हालात?

मध्य प्रदेश, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में शिशु मृत्युदर में सुधार के आंकड़े बेहद कम हैं. 2009 से 2014 के बीच इन राज्यों में सुधार के आंकड़े 'डबल डिजिट' में थे, जहां अब ये खराब होकर 'सिंगल डिजिट' में पहुंच चुके हैं. ऐसा होना, इन राज्यों की स्वास्थ्य हालातों के बारे में इशारा करता है.

दिल्ली में भी सुधार में है स्थिति

दिल्ली में शिशु मृत्युदर के आंकड़ों में सुधार देखने को मिल रहा है. केरल केबदा दिल्ली में IMR (Infant mortality rate) सबसे कम है. दिल्ली 11वें पायदान पर है. वहीं तमिलनाडु 15वें पायदान पर है.

किन राज्यों में सबसे बेहतर है ये दर?

कुछ देश ऐसे भी हैं, जहां मातृ और शिशु पोषण की अच्छी स्थिति और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की वजह से स्थितियां बेहद अच्छी हैं. इन देशों में फिनलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, सिंगापुर और जापान शुमार हैं. ये देश शिशु मृत्युदर की सूची में दूसरे पायदान पर हैं. भारत के लिए 2 पड़ोसी राज्यों से पिछड़ना बड़ी बात है, जबकि दोनों देशों में वित्तीय मदद से लेकर चिकित्सीय सहायता तक, पहुंचाता रहा है. ऐसे में दुनिया में लगातार बढ़ रहे भारत के दबदबे के बाद, शिशु स्वास्थ्य की ऐसी स्थिति, चिंताजनक है. 
 

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