डीएनए हिंदी/अंकुर त्यागी: मुंबई के सबसे बड़े हॉस्पिटल में से एक KEM हॉस्पिटल में एक अनोखा क्लीनिक चल रहा है. इसका नाम है मेमोरी क्लीनिक. इसे मुंबई और देश का पहला ऐसा क्लीनिक कहा जा रहा है. बताया जाता है कि शुरुआत में इस क्लीनिक में ऐसे बुजुर्ग लोग आते थे जो बुढ़ापे की वजह से कमज़ोर याददाश्त के मरीज थे. लेकिन बीते कुछ दिनों से यहां ऐसे युवाओं की भीड़ देखी जा रही है, जो मल्टीटास्किंग काम करते हैं या फिर दिन भर डिजिटल दुनिया से घिरे रहते हैं.
मल्टीटास्किंग है वजह
मरीन ड्राइव पर रहने वाले सुरेश राठौड़ एक कॉरपोरेट हाउस में काम करते हैं. वो बताते हैं कि कोरोना के बाद कंपनी में ऐसे हालात बने हैं कि एक आदमी को उसकी प्रोफाइल के अलावा कई दूसरे काम भी करने पड़ते हैं, ऐसे में मल्टीटास्किंग होना लाज़मी है. इस वजह से ज्यादातर लोगों को आजकल लगातार फोन कॉल्स, मेल्स जैसी डिजिटल दुनिया से घिरे रहना पड़ता है. अब हालात ये हैं कि इनकी याददाश्त कमजोर होने की शिकायत सामने आने लगी है.
क्या कहते हैं डॉक्टर
इस मेमोरी क्लीनिक से जुड़ीं डॉ. उर्वशी बताती हैं, 'हमारे क्लीनिक में कई तरह के टेस्ट मौजूद हैं. इनकी मदद से हमें ये पता चलता है कि मरीज की मेमोरी इस वक्त कौन सी स्टेज पर है. KEM हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट की HOD डॉ. संगीता रावत कहती हैं, 'ये ट्रेंड अब लगातार बढ़ता जा रहा है. कंपीटिटिव कॉर्पोरेट वर्ल्ड में मल्टीटास्किंग बनना और लगातार मोबाइल जैसे दूसरे गैजेट्स से घिरे रहना, युवाओं में धीरे धीरे कमज़ोर होती याददाश्त की वजह बन रहा है. डॉ. संगीता के मुताबिक अब हॉस्पिटल प्रशासन इस बात की पूरी स्टडी करने में जुटा है ताकि भविष्य में इसके हिसाब से इलाज पद्वति को भी विकसित किया जा सके. ये बदलते वक्त के हिसाब से तेजी से बढ़ती हुई समस्या है.
इस बारे में KEM हॉस्पिटल के डीन डॉ हेमंत देशमुख कहते हैं, जाहिर है काम का प्रेशर और कॉरपोरेट दुनिया में आगे बने रहने की चाह आपको मल्टीटास्किंग बनने पर मजबूर कर रही है, ऊपर से मोबाइल और हाई स्पीड नेटवर्क आपको डिजिटल दुनिया मे घेरे रहता है, लेकिन अब यही धीरे धीरे आपको कमज़ोर होते दिमाग का शिकार बनाता जा रहा है. ऐसे में समय रहते इस तरह की गतिविधियों में संतुलन बनाने की जरूरत है.