डीएनए हिंदी: लद्दाख के सियाचिन में भारतीय सेना के अग्निवीर गावते अक्षय लक्ष्मण की शहादत हुई है. देश के सबसे मुश्किल युद्ध क्षेत्र माने जाने वाले सियाचिन में वह ड्यूटी के दौरान शहीद हुए हैं. लाइन ऑफ ड्यूटी के दौरान शहीद होने वाले पहले अग्निवीर भी हैं. लक्ष्मण की शहादत पर भारतीय सेना ने भावुक अंदाज में विदाई दी है. सेना की फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स का हिस्सा थे. जवान के पार्थिव शरीर को आज रविवार (22 अक्टूबर) को ही उनके घर भेजा जाएगा. भारतीय सेना के ऑफिशियल एक्स हैंडल से जवान की शहादत की जानकारी दी गई है. सियाचिन ग्लेशियर काराकोरम रेंज में लगभग 20 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यहां तापमान शून्य से भी नीचे रहता है.
सियाचिन में भारतीय सेना के जवान हमेशा मुस्तैद रहते हैं क्योंकि सुरक्षा के लिहाज से यह बेहद संवेदनशील इलाका है. हालांकि कड़ाके की ठंड, बर्फीली हवाओं और बर्फ से ढके होने की जगह से यहां ड्यूटी परफॉर्म करना खासा मुश्किल माना जाता है. सेना के सूत्रों ने शहीद अग्निवीर के बारे में कहा है कि रविवार को ही उनका शव महाराष्ट्र में परिवार के पास भेजा जा सकता है. राजकीय सम्मान के साथ विदाई का वीडियो भी सेना ने शेयर किया है.
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सेना ने दी भावुक विदाई
फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लक्ष्मण को श्रद्धांजलि दी गई है. उन्होंने लिखा, 'बर्फ में खामोश हैं, लेकिन जब बिगुल बजेगा तो वह फिर से उठेंगे और मार्च करेंगे. फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स से जुड़े सब लोग सियाचिन की कठिन ऊंचाइयों पर ड्यूटी के दौरान अग्निवीर (ऑपरेटर) गावते अक्षय लक्ष्मण के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करता हैं. शोक की इस घड़ी में परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं.'
अग्निवीरों के लिए यह है नियम
अग्निवीरों का सरकार की ओर से 44 लाख का बीमा भी कराया जाता है. ड्यूटी के दौरान अगर अग्निवीर का निधन हो जाता है तो परिवार को बीमा की रकम दी जाती है. राज्य सरकारें अपने स्तर पर भी मदद कर सकती हैं. अग्निवीरों को वेतन के अलावा तीनों सेनाओं के स्थायी सैनिकों की तरह अवॉर्ड, मेडल, भत्ता मिलता है. सैलरी, पेंशन और दूसरी सुविधाओं को लेकर काफी विरोध हुआ था और विपक्ष ने भी सरकार पर निशाना साधा था. अग्निवीर योजना के तहत सिर्फ जवानों की भर्ती होती है सेना के अधिकारी रैंक की नहीं.
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