गैंगरेप के दोषी रिहा, सदमे में Bilkis Bano, पति ने कहा- सुन्न पड़ गई है जब से ये फैसला सुना है

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 17, 2022, 03:44 PM IST

Bilkis Bano

बिलकिस बानो की कहानी को सुनकर दिल ना दहल जाए ऐसा हो ही नहीं सकता. एक 5 महीने की गर्भवती महिला जिसने आंखों के सामने अपनी 3 साल की बेटी की मौत देखी हो और जिसका गैंगरेप हुआ हो... अब फिर वह सदमे में है.

डीएनए हिंदी: गुजरात सरकार ने हाल ही में बिलकिस बानो गैंगरेप के आरोपियों की रिहाई को मंजूरी दी. 15 अगस्त को उम्र कैद की सजा काट रहे ये 11 आरोपी रिहा हो गए. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक जब इस मामले में बिलकिस बानो से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा- 'मुझे अकेला छोड़ दीजिए. मैं कुछ नहीं कहना चाहती.' कोर्ट से बलात्कार और हत्या के उन 11 आरोपियों को रिहाई मिलने के मुद्दे पर बिलकिस के पति रसूल ने कहा, ' हम स्तब्ध हैं, सदमे में हैं और हमारे पैरों तले जैसे जमीन खिसक गई है. हमने इतने सालों तक जो लड़ाई लड़ी वो एक पल में खत्म कर दी गई. उम्रकैद की सजा को इस तरह रिहाई में बदल दिया जाएगा हमने कभी नहीं सोचा था. '

रसूल का कहना है कि जब से बिलकिस ने उन 11 आरोपियों की रिहाई की बात सुनी है वह सदमे में हैं और किसी से बात नहीं कर पा रही है. हम अभी तक इस खबर पर यकीन ही नहीं कर पा रहे हैं. ये आरोपी कई बार पहले भी पैरोल पर बाहर आ चुके हैं, लेकिन उन्हें इस तरह रिहाई मिलेगी और फिर फूलमालाओं से स्वागत होगा ये हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. 

कौन है बिलिकल बानो (Who is Bilkis Bano?)
बिलकिस बानो गुजरात में रहने वाले उन तमाम मुस्लिमों में से एक थी जो सन् 2002 के गुजरात दंगों के बाद प्रदेश छोड़कर जाना चाहते थे. बिलकिस अपने परिवार के साथ गुजरात से किसी दूसरी जगह जाने की कोशिश कर रही थीं. उनके साथ उनकी छोटी बच्ची और परिवार के 15 अन्य सदस्य भी थे. उस वक्त गुजरात में हिंसा भड़की हुई थी. 3 मार्च को 5 महीने की गर्भवती बिलकिस बानो अपने परिवार और अन्य कई परिवारों के साथ एक सुरक्षित जगह के आसरे की तलाश में छिपी थीं, जहां 20-30 आदमियों ने हथियारों के साथ हमला कर दिया. इस दंगे में बिलकिस बानों के परिवार के  7 लोग मारे गए जबकि बिलकिस का गैंगरेप किया गया. उनकी 3 साल की बेटी को भी मार दिया गया. इस जघन्य अपराध के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. 

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क्या हुआ थी सीबीआई जांच में
मुंबई में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को 21 जनवरी 2008 को सामूहिक बलात्कार और बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बाद में बंबई हाई कोर्ट ने भी उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा. इन दोषियों ने 15 साल से ज्यादा कैद की सजा काट ली, जिसके बाद उनमें से एक दोषी ने समय से पहले रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. 

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सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था मामला
पंचमहल के आयुक्त सुजल मायत्रा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से उसकी सजा के मामले में क्षमा पर गौर करने का निर्देश दिया जिसके बाद सरकार ने एक समिति का गठन किया. सुजल मायत्रा ही इस समिति के प्रमुख थे. उन्होंने कहा, 'कुछ महीने पहले गठित समिति ने सर्वसम्मति से इस मामले के सभी 11 दोषियों को क्षमा करने के पक्ष में निर्णय किया.'

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