आज से 25 साल पहले भारतीय सेना ने पाकिस्तान की नापाक साजिशों को चूर-चूर कर दिया था. भीरत की तरफ से शांति प्रस्ताव का जवाब पाकिस्तान ने धोखे से दिया, जिसका अंजाम युद्ध हुआ. आज कारगिल युद्ध को 25 साल पूरे हो गए हैं. आज देश बहादुर सैनिकों के बलिदान का सम्मान करने के लिए कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है. साल 1999 में दुनिया के सबसे उंचे क्षेत्र में 85 दिनों का युद्ध कर भारतीय सेना ने कारगिल में पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों के घुसपैठ को खदेड़ कर सभी इलाके पर फिर से कब्जा जमाया था. कारगिल युद्ध में हार के 25 साल पूरे होने के बाद के 25 साल बाद पाकिस्तान ने एक बार फिर अपनी गलती कबूली है.
पाकिस्तान ने कबूली अपनी गलती
रिपोर्ट के मुताबिक कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ ने हाल ही में फिर माना कि पाक ने भारत के साथ 1999 के लाहौर समझौते में दागाबाजी की थी. वर्तमान में पाकिस्तान में नवाज शरीफ की पार्टी की अगुवाई में गठबंधन की सरकार है. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने बीते 28 मई को यह बात कबूली थी कि इस्लामाबाद ने भारत के साथ 1999 के लाहौर घोषणापत्र का उल्लंघन किया है.
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क्या है लहौर डिक्लेयरेशन
दरअसल, अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में पोकरण परमाणु परीक्षण के बाद पाकिस्तान ने भी इस ओर कदम बढ़ाए थे. पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण के बाद 1998 में भारत और पाकिस्तान ने लाहौर घोषणा पत्र पर दस्तखत किए थे.लऐसा करने का मकसद दो देशों के बीच दूरी को कम करना था. हालांकि, अटल बिहारी वाजपेयी के लाहौर से लौटने के कुछ ही महीनों बाद पाकिस्तान ने पीठ में छूरा घोंपा और इसका परिणाम कारगिल युद्ध हुआ. इस युद्ध में कई वीर भारतीय सैनिकों के देश के खातिर अपना बलिदान दिया था.
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