प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में गुरुवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में भारतीय भाषाओं को लेकर बड़ा फैसला लिया गया. गुरुवार को मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया. इन भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बाद पीएम मोदी ने सभी को बधाई दी.
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि हमारी सरकार भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति को संजोती है और उसका जश्न मनाती है. हम क्षेत्रीय भाषाओं को लोकप्रिय बनाने की अपनी प्रतिबद्धता में भी अटल रहे हैं. मुझे बेहद खुशी है कि कैबिनेट ने फैसला किया है कि असमिया, बंगाली, मराठी, पाली और प्राकृत को शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा दिया जाएगा. यह सुंदर भाषाएं हमारी जीवंत विविधता को उजागर करती हैं. इसके लिए सभी को बधाई.
महाराष्ट्र ने जताया आभार
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडण्वीस ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने पर केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया. फडण्वीस ने कहा- 'यह एक स्वर्णिम अक्षर वाला दिन है. महाराष्ट्र के 12 करोड़ लोगों की ओर से मैं इस फैसले के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद देता हूं.'
महाराष्ट्र ने दिया था मराठी को शास्त्रीय भाषा बनाने का प्रस्ताव
दरअसल, 2013 में महाराष्ट्र सरकार ने मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का एक प्रस्ताव केंद्र को भेजा था. यह प्रस्ताव संस्कृति मंत्रालय की भाषा विशेषज्ञ समिति को भेजा गया था. इसी बीच असमिया, पाली, बंगाली और प्राकृत भाषा को भी शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का प्रस्ताव भेजा गया था. विशेषज्ञ समिति ने इन सभी भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की संस्तुति की. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले यह सरकार का बड़ा दांव माना जा रहा है. हालांकि, बीते 25 जुलाई को भी शिवसेना (UBT) ने भी केंद्र सरकार से मराठी को शास्त्रीय भाषा बनाने का आग्रह किया था. केंद्र सरकार ने गुरुवार को इन पांच भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया.
शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से क्या होता है?
मोदी सरकार के गुरुवार के फैसले के बाद अब कुल 11 शास्त्रीय भाषाएं हो जाएंगी. इससे पहले तमिल, तेलुगु, संस्कृत, कन्नड, मलयालम और उड़िया को ये दर्जा प्राप्त है. अब पाली, प्राकृत, असमिया, बंगाली और मराठी को भी शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिल गया है. शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बाद इन भाषाओं के लिए शैक्षिणिक और शोध क्षेत्र में महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर पैदा होंगे. इसके अलावा इन भाषाओं के प्राचीन ग्रंथों के संरक्षण, दस्तावेजीकरण और डिजिटलीकरण से संग्रह, अनुवाद, प्रकाशन और डिजिटल मीडिया में रोजगार पैदा होंगे.
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'विरासत पर गर्व है'
मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक निर्णय है और यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजग सरकार के हमारी संस्कृति को आगे बढ़ाने, हमारी विरासत पर गर्व करने और सभी भारतीय भाषाओं तथा हमारी समृद्ध विरासत पर गर्व करने के दर्शन के अनुरूप है.
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