प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव देते हुए कहा कि बीजेपी 370 और एनडीए को 400 सीटें मिलेंगी. भले ही कांग्रेस समेत विपक्षी दल इसे अति-आत्मविश्वास बता रहे हों, लेकिन राजनीति के जानकार एनडीए को बड़ी बढ़त बता रहे हैं. पीएम मोदी की सत्ता में वापसी का दावा उनके पुराने सहयोगी और अब नेता बन चुके प्रशांत किशोर भी दावा कर चुके हैं.
बीजेपी की 2019 चुनावों (Lok Sabha Election 2024) से भी बड़ी बहुमत के साथ वापसी की उम्मीद किए जाने के पीछे कई कारण हैं. एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि है, तो दूसरी ओर हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का मजबूत विचार है. विपक्ष के पास इन दोनों की ही काट मौजूद नहीं है. एनडीए की चुनाव में बंपर जीत के साथ वापसी में ये 5 सबसे बड़े कारण बन सकते हैं.
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राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण बीजेपी (BJP) के कोर एजेंडे में शामिल रहा है. अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है और इस मौके पर ऐतिहासिक आयोजन हुआ जिसकी धूम भारत ही नहीं बल्कि विदेशों तक रही हैं. 2024 के चुनावों में बीजेपी की सत्ता में वापसी की एक बड़ी वजह राम मंदिर बन सकता है, जिसने कोर वोटरों और समर्थकों ही नहीं बहुत से विपक्षियों को भी प्रशंसक बना दिया है.
Article 370: जनसंघ के दौर से बीजेपी का नारा एक देश एक विधान रहा है. 2019 में सरकार बनने के साथ ही बीजेपी ने आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया था और इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार के फैसले पर मुहर लग दी है. बीजेपी के पास इस मुद्दे पर अपनी पीठ थपथपाने का मौका है.चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी जनता में यह संदेश देने में भी कामयाब है कि वह अपने घोषणा पत्र में किए वादे पूरे करने से कभी पीछे नहीं हटते है.
लाभार्थी योजनाएं और मोदी की गारंटी: पीएम नरेंद्र मोदी को बीजेपी के कार्यकर्ता ही नहीं कैबिनेट मंत्री तक मोदी की गारंटी के तौर पर पेश किया जा रहा है. महिलाओं के लिए उज्ज्वला योजना हो या फिर फ्री 5 किलो राशन, किसानों के लिए किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं ने ग्रामीण और निचले तबके के बीच बीजेपी की स्वीकार्यता बनाई है. इन योजनाओं के लाभार्थियों के तौर पर बीजेपी ने अपना समर्थन आधार बहुत मजबूत बनाया है.
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हिंदुत्व और राष्ट्रवाद: बीजेपी के पास इस वक्त हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का एक ऐसा मजबूत विचार है जिसकी काट ढूंढ़ने में कांग्रेस और विपक्षी दल एक दशक बाद भी नाकाम नजर आ रहे हैं. राष्ट्रवाद ने जहां बीजेपी की स्वीकार्यता हर आयु वर्ग के वोटरों में बनाई है, तो हिंदुत्व ने बीजेपी के लिए एक ज्यादा बड़ा मजबूत आधार तैयार किया है. हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की इस छतरी को कांग्रेस कभी ओबीसी आरक्षण तो कभी जातिगत जनगणना से काटने की कितनी भी कोशिश कर ले, लेकिन कामयाब होती नहीं दिख रही.
पीएम मोदी का नेतृत्व और बीजेपी का मजबूत संगठन: चुनाव लड़ने और जीतने के लिए मजबूत संगठन के साथ ही एक भरोसेमंद नेतृत्व करने वाला चेहरा भी चाहिए होता है. बीजेपी के पास अपना संगठित कैडर है और आरएस के जरिए घर-घर तक पहुंचने की क्षमता है. पीएम मोदी की मजबूत छवि के विकल्प में विपक्ष के पास न चेहरा है और न ही संगठन का विस्तार.
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