PM Modi के आपातकाल वाले बयान को लेकर सियासी घमासान, जानिए कब और क्यों लगी थी Emergency

आदित्य प्रकाश | Updated:Jun 25, 2024, 02:42 PM IST

Indira Gandhi And Narendra Modi

1975 को देश में लगे आपातकाल (Emergency) को लेकर भारत के राजनीतिक गलियारों में सियासी उठा-पठक जारी है. इस मुद्दे को लेकर पक्ष और विपक्ष दोनों ही तरफ से एक-दूसरे के खिलाफ जमकर बयानबाजियां हो रही हैं.

सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी (PM Nrendra Modi) ने 18वीं लोकसभा के सत्र शुरू होने से पहले सदन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर आपातकाल (Emergency)को लेकर निशाना साधते हुए कहा कि आज से 50 साल पहले जो 25 जून को भारतीय लोकतंत्र पर काला धब्बा लगा था, उसे भूला नहीं जा सकता है. पीएम मोदी के इस बयान के बाद कांग्रेस के नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हम संविधान के लिए लड़ रहे हैं, और हमें जनता का समर्थन है. साथ ही उन्होंने बीजेपी सरकार पर संविधान को तोड़ने का आरोप लगाया. 25 जून, 1975 को देश में लगे आपातकाल को लेकर भारत के राजनीतिक गलियारों में सियासी उठा-पठक जारी है. इस मुद्दे को लेकर पक्ष और विपक्ष दोनों ही तरफ से एक-दूसरे के खिलाफ जमकर बयानबाजियां हो रही हैं.

पीएम मोदी ने आपातकाल को लेकर क्या कहा था 
18वीं लोकसभा के पहले सत्र के पहले दिन सदन को संबोधित करते हुए PM नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'कल 25 जून की तारीख है, जनता इस देश के संविधान की गरिमा से समर्पित हैं, जो लोग देश की लोकतांत्रिक परंपराओं पर विश्वास रखते हैं, उनके लिए ये दिन हमेशा के लिए यादगार रहने वाला है. 25 जून को भारत के लोकतंत्र पर जो काला धब्बा लगा था, उसके 50 साल पूरे हो रहे हैं. भारत की नई पीढ़ी नहीं भूल सकेगी कि देश के संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था, और देश को जेलखाने में तब्दील कर दिया गया था. इमरजेंसी के ये 50 साल इस संकल्प के हैं कि हम गर्व के साथ अपने संविधान की रक्षा करते रहेंगे.' 


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कब और कैसे लगा था आपातकाल
वो 25 जून, 1975 की तारीख थी. इसी दिन कांग्रेस नेता और उस वक्त के समकालीन पीएम इंदिरा गांधी ने आपातकाल का ऐलान किया था. भारत में उन दिनों इंदिरा गांधी की सरकार चल रही थी, उस सरकार  के आपातकाल के फैसले पर उस वक्त के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने मंजूरी दे दी थी. ये आपातकाल देश में 21 मार्च, 1977 तक जारी रहा था. आजादी के बाद से भारत का ये पहला मौका जहा इस तरह के फैसले लिए गए थे. देशभर में 21 महीने विवादों से भरे हुए थे.

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