डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र में चल रही सियासी अस्थिरता के बीच एकनाथ शिंदे गुट और ठाकरे परिवार एक-दूसरे पर हमलावर है. सोमवार को उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने शिंदे गुट पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोगों ने कहा कि कांग्रेस और एनसीपी हमारे साथ धोखा करेंगे लेकिन हमारे साथ हमारे अपने लोगों ने विश्वासघात किया. बहुत सारे विधायक चौकीदार, रिक्शा ड्राइवर और पान की दुकान चलाते थे. हमने उन्हें मंत्री बनाया. 20 मई को उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को सीएम पद भी ऑफर किया लेकिन उन्होंने ड्रामा किया.
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आज कहां पहुंची 'महाराष्ट्र की लड़ाई'?
सोमवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने गुवाहाटी के होटल में ठहरे हुए नौ बागी मंत्रियों के विभाग सोमवार को छीन लिए जबकि बागी विधायक अपनी याचिका उच्चतम न्यायालय में लेकर पहुंचे जिसने विधानसभा उपाध्यक्ष द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई अयोग्यता कार्यवाही पर 11 जुलाई तक रोक लगा दी. शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में एमवीए सरकार के खिलाफ शुरू हुई बगावत को एक हफ्ता हो रहे हैं. उनका तीन दर्जन से ज्यादा विधायकों के समर्थन का दावा है. दोनों ही पक्ष अपने रुख पर अड़े हुए हैं और लंबी लड़ाई के लिए तैयार दिख रहे हैं.
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, शिंदे के नेतृत्व में गुवाहाटी में डेरा डाले बैठे बागी मंत्रियों के विभाग अन्य मंत्रियों को इसलिए दिए जा रहे हैं ताकि प्रशासन चलाने में आसानी हो. शिवसेना में अब चार कैबिनेट मंत्री हैं जिनमें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, अनिल परब और सुभाष देसाई शामिल हैं. आदित्य को छोड़कर शेष तीन विधान परिषद के सदस्य (एमएलसी) हैं. शिंदे के शहरी विकास और सार्वजनिक उपक्रम विभागों को शिवसेना के वरिष्ठ नेता एवं राज्य के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई को दिया गया है. उदय सामंत के पास उच्च शिक्षा विभाग था जिसे अब आदित्य ठाकरे को आवंटित किया गया है.
शिवसेना के अगुवाई वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार में बगावत से पहले, पार्टी के 10 कैबिनेट मंत्री और चार राज्य मंत्री थे. चारों राज्यमंत्री विरोधी खेमे में शामिल हो गए हैं. एनसीपी और कांग्रेस एमवीए के अन्य प्रमुख घटक हैं. वहीं, उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस के खिलाफ शिवसेना के बागी विधायकों को राहत प्रदान करते हुए कहा कि संबंधित विधायकों की अयोग्यता पर 11 जुलाई तक फैसला नहीं लिया जाना चाहिए.
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