इंडिया गठबंधन का कुनबा एक-एक कर बिखरता ही जा रहा है. पहले ममता बनर्जी ने बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया था और फिर नीतीश कुमार साथ छोड़कर एनडीए में शामिल हो गए हैं. अब पंजाब में भी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की उम्मीदें खत्म होती दिख रही हैं. सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि आप की पंजाब यूनिट अकेले चुनाव लड़ने के पक्ष में है और अब सीट शेयरिंग पर भी मामला सुलझता नहीं दिख रहा है. विपक्षी एकता के सारे दावे एक-एक कर रेत का किला साबित हो रहे हैं. कांग्रेस के पास सहयोगियों में अब बिहार में आरजेडी और झारखंड में जेएमएम जैसी पार्टियां ही बची हैं.
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले ही इंडिया गठबंधन पूरी तरह से बिखर चुका है. पंजाब में आम आदमी पार्टी अगर अकेले चुनाव लड़ती है तो दिल्ली में भी सीट शेयरिंग पर सहमति बनने की उम्मीद कम हो जाएगी. बीजेपी एक ओर चुनाव की तैयारियों के लिए पूरी तरह से एकजुट है. साथ ही, एनडीए के दायरे को बढ़ाने के लिए पुराने सहयोगियों को भी साथ लाने की कोशिश हो रही है. दूसरी ओर विपक्षी दल न तो सीट शेयरिंग का फॉर्मूला ही सुलझा सके और अब तो गठबंधन के बचने की भी उम्मीद नहीं नजर आ रही है.
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पंजाब में कांग्रेस की उम्मीदों को लगा झटका
लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस की उम्मीदों को झटका लगा है. पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के गठबंधन की उम्मीद थी और दोनों पार्टियों ने इसके लिए पहले उत्सुकता भी दिखाई छी. लेकिन पंजाब में गठबंधन टूटने का असर दिल्ली की 7 सीटों पर भी पड़ सकता है. दिल्ली में भी अगर इंडिया गठबंधन की दोनों पार्टियां साथ में चुनाव नहीं लड़ती हैं, तो बीजेपी को फायदा मिल सकता है. दिल्ली की सातों सीटों पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है.
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इंडिया गठबंधन के सारे साथी एक-एक कर छूटे
लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता के सारे बड़े दावे खोखले साबित हो रहे हैं. विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस की हिंदी पट्टी के तीनों राज्यों में बड़ी हार ने गठबंधन के सहयोगियों को एक-एक कर दूर कर दिया है. नीतीश कुमार और ममता बनर्जी के अलग होने के बाद अब कांग्रेस को अरविंद केजरीवाल ने भी झटका दे दिया है. महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव गुट) भी वापस एनडीए में शामिल हो सकती है.
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