डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अडानी ग्रुप से जुड़े विवाद पर सुनवाई की. इस दौरान शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि शेयर मार्केट में भारतीय निवेशकों के हित की रक्षा करने के लिए उसके पास क्या उपाय है. यह सुनवाई हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की खराब स्थिति को दी गई जानकारी की जांच कराने की मांग वाली दो याचिकाओं पर की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने शेयर बाजार नियामक सेबी से भी सुझाव मांगा है कि भविष्य में निवेशकों की सुरक्षा के लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं. इस मामले में शीर्ष अदालत अब सोमवार को सुनवाई करेगी. अगली सुनवाई पर केंद्र सरकार को अपना जवाब दाखिल करना है.
हमारी चिंता केवल भारतीय निवेशकों के हित की सुरक्षा
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने सुनवाई में कहा, शेयर बाजार भावणाओं पर चलता है. हम इसके गुण-दोष पर कमेंट नहीं करेंगे. हमारी चिंता केवल भारतीय निवेशकों के हित सुरक्षित रखना है. एडवोकेट एमएल शर्मा और विशाल तिवारी की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही बेंच ने SEBI की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से भी सुझाव मांगा. उन्होंने कहा, वे यह सुझाव दें कि हालिया दिनों में शेयर बाजार में दिखाई दी अचानक अस्थिरता से भारतीय निवेशकों को प्रभावित होने से कैसे बचाएं. बेंच ने एक्सपर्ट्स की एक कमेटी बनाने का भी सुझाव दिया, जो निवेशक हित की रक्षा के लिए मजबूत प्रक्रिया सुझा सके. हालांकि सॉलिसिटर जनरल ने शीर्ष अदालत को सभी आवश्यक कदम पहले से ही उठाए जाने की जानकारी दी है.
याचिकाओं में की गई है रिटायर्ड जज से जांच की मांग
जनहित याचिकाओं में शर्मा ने हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और उनके भारतीय सहयोगियों के खलाफ SEBI और केंद्रीय गृह मंत्रालय को जांच का आदेश देने और जरूरत पड़ने पर FIR दर्ज कराने की मांग की है. दूसरी याचिका में तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली कमेटी से हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच कराने की मांग की है.
क्या कहा गया था हिंडनबर्ग रिपोर्ट में
अमेरिका की हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी को अडानी ग्रुप से जुड़ी रिपोर्ट पब्लिश की थी. इसमें अडानी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर मैनिपुलेशन के जरिए अपने शेयरों के दाम असल कीमत से कई गुना ज्यादा तक बढ़ाने जैसे आरोप लगाए गए थे. इससे अडानी ग्रुप के शेयरों के दामों में भारी गिरावट हुई थी. साथ ही अडानी ग्रुप को अपना 20,000 करोड़ रुपये का FPO वापस लेना पड़ा था.
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