DNA TV Show: आदित्य-L1 मिशन सूरज पर उतरेगा? जानें देश के पहले सौर मिशन के बारे में सबकुछ

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 01, 2023, 11:30 PM IST

Aditya-L1 Mission

ADITYA L-1 Mission: हमारे सोलर सिस्टम में सूर्य ही ऊर्जा का एकमात्र स्रोत है. ये एक तरह का जलता हुआ गैस का एक गोला है. 23 अगस्त को भारत ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर इतिहास रचा था. अब भारत एक बार फिर अंतरिक्ष की और जा रहा है. जानें भारत के आदित्य एल-1 मिशन के बारे में सबकुछ.

डीएनए हिंदी: चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब भारत सूर्य का अध्ययन करने के लिए तैयार है. यह भारत का पहला सूर्य मिशन है. इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी इसरो (ISRO) शनिवार को अपने पहले सूर्य मिशन आदित्य L-1 को लॉन्च करेगा. आदित्य L-1 की लॉन्चिंग सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से होगी. इसरो ने इसका काउंटडाउन शुरू कर दिया है. पूरे देश में मिशन की सफलता के लिए प्रार्थनाओं का दौर जारी है. शुक्रवार को इसरो चीफ ने मिशन की सफलता के लिए मंदिर जाकर प्रार्थना भी की है. जानें भारत के इस महत्वाकांक्षी मिशन के बारे में और यह भी कि भारतीय वैज्ञानिक इस मिशन के जरिए कौन से रहस्यों का पता लगाने वाले हैं

ADITYA L-1 के बारे में जानें खास बातें 
- इस यात्रा के दौरान आदित्य-एल1 करीब 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करेगा.
- आदित्य-एल1 की लॉन्चिंग PSLV-XL रॉकेट से होगी.
- जिसे ISRO ने PSLV-C57 नंबर दिया है.

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क्या सूरज पर जाएगा आदित्य-L1
आदित्य L-1 का काउंटडाउन शुरू हो गया है. इसलिए इसरो के वैज्ञानिकों के लिए भी ये अहम पल है. इसरो प्रमुख एस सोमनाथ इस मिशन की सफलता की कामना के लिए तिरूपति बालाजी मंदिर गए. इस दौरान सोमनाथ के साथ इसरो के उन वैज्ञानिकों की टीम भी थी जो इस मिशन से जुड़े हुए है. सूरज की सतह से थोड़ा ऊपर यानी फोटोस्फीयर (photosphere) का तापमान करीब 5 हजार 500 डिग्री सेल्सियस रहता है. उसके केंद्र का तापमान अधिकतम 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस रहता है. ऐसे में किसी यान या स्पेसक्राफ्ट का वहां जाना संभव नहीं है. धरती पर इंसानों की बनाई ऐसी कोई भी वस्तु नहीं है, जो सूरज की इतनी गर्मी बर्दाश्त कर सके. आपके दिमाग में ये सवाल आ रहा होगा कि जब सूरज इतना गर्म है तो आदित्य L-1 वहां कैसे जाएगा. सूरज की गर्मी में तो वो पिघल जाएगा. 

सूरज पर क्या करेगा आदित्य-L1
- सूरज की अपनी ग्रैविटी यानी गुरुत्वाकर्षण शक्ति होती है.
- धरती की भी अपनी ग्रैविटी है. अंतरिक्ष में जहां पर इन दोनों की ग्रैविटी आपस में टकराती है या यूं कहें जहां पर धरती और सूर्य की ग्रैविटी बराबर रहती है.
- इसी प्वाइंट को Lagrange Point कहते हैं.
- धरती और सूरज के बीच ऐसे 5 Lagrange Point चिन्हित किए गए हैं.
- भारत का सूर्ययान Lagrange Point 1 यानी L1 पर जाकर रिसर्च करेगा

आपके दिमाग में ये सवाल आ रहा होगा कि आदित्य एल-1 वहां जाकर क्या करेगा. अब मैं आपको उसके बारे में भी बताता हूं. 
- आदित्य एल-1 का मकसद सूर्य की किरणों का अध्ययन करना है
- CORONA से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं का अध्ययन करना है
- ISRO इस मिशन की मदद से सौर वायुमंडल और तापमान का अध्ययन करेगा.
- आदित्य L-1 सौर तूफानों के आने की वजह, सौर लहरों और उनका धरती के वायुमंडल पर क्या असर होता है इसका भी पता लगाएगा.

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इसरो एक बार फिर इतिहास रचने वाला है. जिसको लेकर हर कोई उत्साहित है. कल दुनिया एक बार फिर अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती शक्ति को देखेगी. जिस तरह से चांद के बहुत से रहस्य अनसुलझे है ठीक उसी तरह से सूरज भी रहस्यों से भरा हुआ है. इन्हीं रहस्यों का पता लगाने आदित्य L-1, Lagrange Point 1 तक जा रहा है. धरती से सूरज की दूरी 15 करोड़ किलोमीटर है. सोचिए इतनी दूरी होने के बाद भी सूरज गर्मी में धरती को कितना गरम कर देता है. सूरज का तापमान 5 हजार 500 डिग्री सेल्सियस से लेकर डेढ़ करोड़ डिग्री सेल्सियस तक होता है. सूरज पर बड़े-बड़े धमाके होते हैं. ऊर्जा और गर्मी के तूफान आते हैं. इन्हें ही गर्मी का तूफान या जियोमेग्नैटिक स्टोर्म भी कहते है. वर्ष 2023 की शुरुआत से लेकर अब तक कई सौर तूफान पृथ्वी से टकरा चुके हैं. 

सोलर फ्लेयर्स क्या होते हैं?
- सोलर फ्लेयर्स की वजह से सूरज की सतह पर बहुत तेज गति के साथ विस्फोट होता है.
- इन विस्फोट के बाद भारी मात्रा में ऊर्जा पैदा होती है.
- सूरज पर विस्फोट के बाद रैडिएशन ब्रह्मांड में जाती है. जो सीधे हमारे सौर मंडल के ग्रहों को प्रभावित करती हैं.
- रैडिएशन में रेडियो तरंगें, एक्सरे और गामा रे शामिल होती हैं.
- सौर तूफानों को 5 श्रेणियों में बांटा जाता है.
- A,B और C की कैटेगरी के सोलर फ्लेयर्स ज्यादा शक्तिशाली नहीं होते.
- लेकिन M और X कैटेगरी के सोलर फ्लेयर्स शक्तिशाली होते है. इसका असर धरती तक हो सकता है.
- सोलर फ्लेयर्स की लपटें लाखों किलोमीटर दूर तक फैलती है.

नासा का दावा है कि इन विस्फोट से निकलने वाली ऊर्जा 100 मेगाटन के लाखों हाइड्रोजन बमों के एक साथ फटने के बराबर होती है. फिर भी यह सूरज की कुल ऊर्जा का दसवां हिस्सा है. अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अनुसार इस वक्त सूर्य अपनी 11 साल की सोलर साइकल से गुजर रहा है. हर 11 साल में सूर्य की सतह पर इस तरह की गतिविधियां बहुत तेज हो जाती हैं. सूरज से निकलने वाले सोलर फ्लेयर्स से धरती पर कई तरह के उपकरण खराब हो सकते है.

- शक्तिशाली M और X क्लास के सोलर फ्लेयर्स धरती पर रेडियो ब्लैकआउट कर सकते हैं.
- सूरज से निकलने वाले ये आग के तूफान संचार के साधनों में खराबी पैदा कर सकते हैं.
- इससे बिजली सप्लाई भी प्रभावित हो सकती है.
- रेडियो, सैटेलाइट और नेविगेशन सिस्टम पर भी इसका असर हो सकता है.
- प्रकाश की गति से यात्रा करते हुए ये रेडिएशन आठ मिनट के भीतर ही पृथ्वी तक पहुंच जाते है.

सौर तूफान पहले भी आ चुके है. वर्ष उन्नीस सौ नवासी में कनाडा के क्यूबेक सिटी में सौर तूफान आया था. इसकी वजह से यहां 12 घंटे तक बिजली नहीं आई. अभी तक हम यही समझ रहे थे कि धरती पर ही तूफान आते है, लेकिन सूरज पर आने वाले तूफान धरती के तूफान से कई गुना ज्यादा ताकतवर होते हैं.

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