डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में एक रोचक मामला सामने आया है. यमुना नदी में गंदगी फैला रहीं कुछ भैंसों को आगरा नगर निगम की टीम पकड़कर ले गई. कार्रवाई के डर से दो-तीन दिन तक कोई इन भैसों का हाल जानने भी नहीं आया. आखिर में एक स्थानीय विधायक ने फोन करके सिफारिश की. विधायक का अनुरोध था कि नगर निगम जुर्माने की राशि कुछ कम कर दे और भैंसों को छोड़ दिया जाए.
बताया गया है कि यमुना की गंदगी रोकने के लिए आगरा नगर निगम की ओर से अभियान चलाया जा रहा है. नगर निगम के कर्मचारी गली-गली घूमकर छुट्टा जानवरों को पकड़ रहे हैं. इसी क्रम में कुछ भैंसों को भी नगर निगम के कर्मचारी पकड़ ले गए थे. नगर निगन ने इन भैंसों के मालिकों पर भारी भरकम जुर्माना भी लगाया था. आलम यह था कि तीन दिन तक भैंसों को छुड़ाने के लिए कोई आया ही नहीं.
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विधायक ने नगर आयुक्त से की सिफारिश
तीन दिन के बाद स्थानीय विधायक ने नगर आयुक्त को फोन करके सिफारिश की. विधायक की सिफारिश के बाद जुर्माने को 20 हजार से घटाकर 5 हजार कर दिया गया. जुर्माना कम हो जाने के बाद पशुपालक अपनी 7 भैसों को ले गए. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद यमुना नदी में भैंसों या अन्य जानवरों को नहलाना, कपड़े धोना और कचरा डालना प्रतिबंधित कर दिया गया है.
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निगम के कर्मचारियों ने लगभग 35 भैंसें पकड़ी थीं. इन सभी को कांजी हाउस में रखा गया था. निगम ने कहा था हर भैंस के लिए 20 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा. यही वजह थी कि कोई अपनी भैंस छुड़ाने ही नहीं आ रहा था. विधायक ने सिफारिश की और पशुपालकों को एक और मौका देने को कहा तब जाकर जुर्माना कम किया गया. अभी भी सिर्फ 7 भैंसें ले जाई गई हैं और 28 भैंसे कांजी हाउस में बंद हैं.
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