डीएनए हिंदी: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में लगातार हाशिए पर जा रहे अजित पवार का दर्द अब छलक आया है. अजित पवार ने अब शरद पवार के सामने ही कह दिया है कि उन्हें नेता प्रतिपक्ष के पद से हटा दें. अजित पवार ने कहा कि वह नेता प्रतिपक्ष नहीं बनना चाहते, उन्हें पार्टी में जो भी दूसरी भूमिका दी जाती है उसे निभाने के लिए वह तैयार हैं. पूर्व डिप्टी सीएम अजित पवार ने यह भी कह दिया कि एनसीपी के नेता बनना चाहते हैं और उसे ही चलाना चाहते हैं, अगर उनकी पार्टी इस भूमिका के लिए उन्हें चुनती है.
मुंबई में आयोजित, एनसीपी के 24 वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में अजित पवार ने अपनी मांग रखी. ताजा अटकलों को हवा देने वाली एक टिप्पणी में अजित पवार ने कहा, 'मुझे बताया गया है कि मैं नेता प्रतिपक्ष के तौर पर सख्त व्यवहार नहीं करता हूं. मुझे नेता प्रतिपक्ष के रूप में काम करने में कभी दिलचस्पी नहीं थी लेकिन पार्टी विधायकों की मांग पर यह भूमिका स्वीकार की थी.' अजित ने कहा कि उनकी मांग पर फैसला करना एनसीपी नेतृत्व पर निर्भर है.
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अजित पवार को नहीं मिल पाया NCP अध्यक्ष का पद
उन्होंने कहा, 'मुझे पार्टी संगठन में कोई भी पद दे दें. मुझे जो भी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, उसके साथ पूरा न्याय करूंगा.' अजित पवार ने महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार गिरने के बाद पिछले साल जुलाई में नेता प्रतिपक्ष का पदभार संभाला था. तत्कालीन एमवीए सरकार में वह उपमुख्यमंत्री थे. शिवसेना में विद्रोह के कारण तत्कालीन एमवीए सरकार गिर गई थी. गौरतलब है कि एनसीपी चीफ शरद पवार ने हाल ही में अपनी बेटी और सांसद सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर महाराष्ट्र की जिम्मेदारी सौंपी थी, जबकि दूसरे कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल को उन्होंने अन्य राज्यों की जिम्मेदारी दी.
अजित पवार ने कहा कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और प्रकाश आम्बेडकर की अध्यक्षता वाली वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए) को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा, 'वर्ष 2019 में, वीबीए ने अकेले कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को नुकसान पहुंचाया था. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि समान विचारधारा वाले दलों के बीच मतों का विभाजन न हो. हम बीआरएस और वीबीए को नजरअंदाज नहीं कर सकते.'
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बता दें कि केसीआर विशेष तौर पर महाराष्ट्र में बीआरएस का आधार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं और मराठवाड़ा क्षेत्र में "किसान" सरकार की स्थापना के लिए रैलियां आयोजित की थीं. बीआरएस ने पश्चिमी राज्य में सदस्यता अभियान भी शुरू किया है. अजित पवार ने मुंबई और विदर्भ में एनसीपी संगठन को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया.
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