क्या मायावती के वोट बैंक पर है Akhilesh Yadav की निगाह? आंबेडकर का जिक्र कर दिया बड़ा संदेश

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 29, 2022, 02:32 PM IST

अखिलेश यादव ने 2019 के लोकसभा चुनावों में बसपा से गठबंधन किया था जिसे दलित वोटों को लुभाने की कोशिश माना गया था.

डीएनए हिंदी: आज समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया था और तीसरी बार पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है. उन्होंने अपनी जीत के बाद राज्य की राजनीति को लेकर अहम संबोधन दिया है और इस दौरान उन्होंने यह तक कहा कि अब तो आंबेडकरवादी भी सपा का समर्थन करने लगे हैं.

दरअसल, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से सपा को राष्‍ट्रीय पार्टी बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि समाजवादियों की कोशिश होनी चाहिए कि वे बाबा साहब भीमराव आंबेडकर और समाजवाद के प्रणेता डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के सिद्धांतों पर चलने वाले लोगों को साथ जोड़कर संविधान और लोकतंत्र को बचाएं.

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फिर निर्विरोध चुने गए अध्यक्ष

अखिलेश यादव ने तीसरी बार राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद अपने संबोधन में कहा "नेताजी (सपा संस्‍थापक मुलायम सिंह यादव) हमेशा चाहते थे कि समाजवादी पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी बने. हम लोगों ने संघर्ष किया. बहुत कोशिश की. आज के दिन जब आप मुझे पांच साल और मौका दे रहे हैं तो हम सबको मिलकर संकल्प लेना चाहिए कि जब अगली बार हम लोग (अधिवेशन में) मिलें तो समाजवादी पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी बन चुकी हो.’’ 

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सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनाने का लक्ष्य

अहम बात यह है कि सपा का यह अधिवेशन जिस रमाबाई आंबेडकर मैदान पर हो रहा है. अखिलेश ने कहा, "वे लोग भी आज समाजवादी पार्टी से जुड़ रहे हैं जो बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के सपने को साकार करना चाहते हैं. शोषित, वंचित, पिछड़े और दलित जिन्हें आजादी के बाद अधिकार और सम्मान नहीं मिला, वे भी आज समाजवादियों की तरफ देख रहे हैं. समाजवादियों की यह कोशिश होनी चाहिए कि बाबा साहब भीमराव आंबेडकर और डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के सिद्धांतों पर चलने वाले लोगों को साथ जोड़कर हम लोग संविधान और लोकतंत्र को बचाने का काम करें."

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मायावती के वोट बैंक पर नजर

आपको बता दें कि यूपी के पिछले तीन चुनावों में बड़ा नुकसान हुआ है. ऐसे में अब बीजेपी को हराने के लिए और राज्य में अपनी पकड़ बनाने के लिए सपा की कोशिश है कि राज्य के दलित वोट बैंक को साधा जा सके. ऐसे में आज के अखिलेश यादव के भाषण को काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि मायावती आंबेडकर के नाम पर राजनीतिक बयानबाजी कर स्वयं को दलित हितैषी बताती रही हैं और अब अखिलेश राज्य में मायावती के वोट बैंक को कैप्चर करने की कोशिश कर रहे हैं. 

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