अखिलेश यादव का करहल सीट से इस्तीफा, नेता प्रतिपक्ष का पद भी छोड़ा, अब दिल्ली से साधेंगे यूपी की राजनीति

रईश खान | Updated:Jun 12, 2024, 05:45 PM IST

Akhilesh Yadav

Akhilesh Yadav Resigns: अखिलेश यादव के साथ उनकी पत्नी डिंपल यादव भी केंद्र की राजनीति में नजर आएंगी. अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया है.

समाजवादी पार्टी (SP) प्रमुख अखिलेश यादव ने दिल्ली की राय पकड़ ली है. अब वे यूपी से निकलकर देश की राजनीति साधना चाहते हैं. अखिलेश ने करहल विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया है. साथ ही उन्होंने नेता प्रतिपक्ष पद भी छोड़ दिया है. वह कन्नौज लोसकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं. इस वजह से अखिलेश को इस सीट छोड़नी पड़ी है. अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव में जबरदस्त कारनामा किया है. यही वजह है कि अब वह दिल्ली से देश की राजनीति करना चाहते हैं.

अखिलेश यादव के साथ उनकी पत्नी डिंपल यादव भी केंद्र की राजनीति में नजर आएंगी. डिंपल यादव मैनपुरी से लोकसभा सदस्य चुनकर आई हैं. सपा ने यूपी की 37 सीटों पर जीत दर्ज की है. अखिलेश की रणनीति का ही नतीजा है कि इतनी सीटें मुलायम सिंह भी कभी नहीं जीत पाए थे. चुनाव कैंपेन, सीटों का बंटवारा, प्रत्याशियों का चयन जैसी रणनीति ने सत्ताधारी बीजेपी को 33 सीट पर समेट कर रख दिया.

नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर किसे बिठाएंगे अखिलेश?
अखिलेश यादव का अगला लक्ष्य 2027 में उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने का है. समाजवादी पार्टी ने इसकी तैयारी में शुरू कर दी है. उत्तर प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर सफा के नए चेहरे को आगे किया जाएगा. अखिलेश ने जिस तरह जातिए समीकरण को साध कर रखा है. कयास लगाए जा रहे हैं कि यूपी विधानसभा चुनाव में इसका इस्तेमाल किया जाएगा.

राजनीतिक जानकारों की मानें तो अखिलेश यादव अपने परिवार की बजाय किसी दलित, मुस्लिम या फिर किसी अगड़े नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी सौंप दें. इनमें इंद्रजीत सरोज, ओम प्रकाश सिंह का नाम भी हो सकता है.


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दिल्ली की ओर क्यों बढ़ाए कदम?
जानकारों का कहना है कि सपा के देश में तीसरे नंबर की बड़ी पार्टी बनने के बाद अखिलेश यादव का सपना पार्टी को राष्ट्रीय फलक तक पहुंचाने का है. यह दिल्ली से ही पूरा हो सकता है. सपा इससे पहले राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड जैसे राज्यों में चुनाव लड़ती रही है. लेकिन, पार्टी को वो सफलता नहीं मिल सकी, जो वह चाहती थी. इस कारण भी उन्होंने अपने कदम दिल्ली की ओर बढ़ाए हैं.

इसके अलावा वह केंद्र में अपने दम पर खुद को विपक्ष का एक मजबूत नेता साबित करना चाहेंगे. उत्तर प्रदेश में 2027 के लिहाज से फोकस करेंगे और सरकार को घेर सकते हैं.

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अशोक यादव ने कहा कि सपा को जनता के आशीर्वाद ने टॉप थ्री पार्टी बनाया है. अब राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी बढ़ गई है. वह केंद्र में राजनीति करेंगे. अब वह राष्ट्रीय स्तर पर पीडीए के आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे.

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