डीएनए हिंदी: मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने शाही ईदगाह परिसर में ASI सर्वे की मंजूरी दे दी. उच्च न्यायालय ने विवादित जमीन पर एडवोकेट कमिश्नर के जरिए सर्वे कराए जाने की मांग को मंजूरी दे दी है. श्रीकृष्ण विराजमान और 7 अन्य लोगों ने ईदगाह परिसर में सर्वे कराए जाने की याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने दावा किया था कि मस्जिद के नीचे ऐसे कई संकेत दबे हैं जो यह साबित करते हैं कि वहां मंदिर था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाते हुए हिंदू पक्ष की याचिका को मंजूरी दे दी. कोर्ट ने अपने फैसले में ज्ञानवापी विवाद की तर्ज पर मथुरा की शाही ईदगाह परिसर में एडवोकेट कमिश्नर के जरिए सर्वे कराए जाने को मंजूरी दी. हालांकि, ASI सर्वे कब होगा और कितने लोग इसमें शामिल होंगे, यह 18 दिसंबर 2023 को सुनवाई में तय होगा.
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हिंदू पक्ष की ओर से किया गया था दावा
जस्टिस मयंक कुमार जैन ने इससे पहले 16 नवंबर को संबंधित पक्षों को सुनने के बाद इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था. इस दिन विवादित परिसर की 18 याचिकाओं में से 17 पर सुनवाई हुई. ये सभी याचिकाएं मथुरा जिला अदालत से इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए शिफ्ट हुई थी. यह याचिका भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और सात अन्य लोगों द्वारा अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडेय और देवकी नंदन के जरिए दायर की गई थी जिसमें दावा किया गया है कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली उस मस्जिद के नीचे मौजूद है और ऐसे कई संकेत हैं जो यह साबित करते हैं कि वह मस्जिद एक हिंदू मंदिर है.
पक्षकारों ने मंदिर का पौराणिक पक्ष रखते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र ने मथुरा मंदिर का निर्माण कराया था. मंदिर के लिए जमीन दान में मिली. इसलिए जमीन के स्वामित्व का कोई विवाद नहीं है. मंदिर तोड़कर शाही मस्जिद बनाने का विवाद है. राजस्व अभिलेखों में जमीन अभी भी कटरा केशव देव के नाम दर्ज है. कोर्ट का फैसला आने के बाद श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने कहा कि कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है. यह श्रीकृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए चल रहे आंदोलन में मील का पत्थर साबित होगा.
क्या था पूरा मामला?
श्रीकृष्ण जन्मस्थान शाही ईदगाह मामले में 12 अक्टूबर 1968 को एक समझौता हुआ था. श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट के सहयोगी संगठन श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ और शाही ईदगाह के बीच हुए इस समझौते में 13.37 एकड़ भूमि में से करीब 2.37 एकड़ भूमि शाही ईदगाह के लिए दी गई थी. हालांकि, इस समझौते के बाद श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ को भंग कर दिया गया. इस समझौते को हिंदू पक्ष अवैध बता रहा है। हिंदू पक्ष के अनुसार श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ को समझौते का अधिकार था ही नहीं.
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