डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले की शाही ईदगाह बनाम श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में आज इलाहाबाद हाई कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है. इस मामले में 17 अप्रैल को ही सुनवाई पूरी हो गई थी. सुनवाई पूरी होने के बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को दोपहर 12 बजे के बाद इस मामले में फैसला आ सकता है. इस मामले में एक पक्ष श्रीकृष्ण विराजमान तो दूसरा शाही ईदगाह ट्रस्ट है. अयोध्या विवाद की तरह ही यहां भी झगड़े की जड़ जमीन का मालिकाना हक ही है. फिलहाल, यहां मंदिर और मस्जिद दोनों मौजूद है.
भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से मथुरा के सिविल जज की अदालत में सिविल मुकदमा दायर किया गया था और मांग की गई थी कि 20 जुलाई 1973 के फैसले को रद्द करते हुए 13.37 एकड़ कटरा केशव देव की जमीन, श्रीकृष्ण विराजमान के नाम की जाए. वादी का कहना था कि जमीन को लेकर दो पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर 1973 में दिया गया फैसला वादी पर लागू नहीं होगा क्योंकि वह इसमें पक्षकार नहीं था.
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सालों से अदालतों में चल रहे हैं कई मामले
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की आपत्ति पर सुनवाई करते हुए अदालत ने 30 सितंबर 2020 को दीवानी मुकदमा खारिज कर दिया था. इसी के खिलाफ श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से अपील दाखिल की गई. विपक्षी ने अपील की पोषणीयता पर आपत्ति की थी. जिला जज मथुरा की अदालत ने अर्जी मंजूर करते हुए अपील को रिव्यू अर्जी में तब्दील कर दिया था. इस अर्जी पर पांच प्रश्न तय किए गए थे.
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19 मई 2022 को जिला जज की अदालत ने वाद खारिज करने के सिविल जज के 30 सितंबर 2020 के आदेश को रद्द कर दिया और अधीनस्थ अदालत को दोनों पक्षों को सुनकर नियमानुसार आदेश करने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट में दाखिल इन याचिकाओं में इसी आदेश की वैधानिकता को चुनौती दी गई है.
क्या है श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद?
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर विवाद दशकों पुराना है. मथुरा का यह विवाद कुल 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा है. 12 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ एक समझौता किया था. इस समझौते में 13.7 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों बनने की बात हुई थी.
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गौरतलब है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है जबकि ढाई एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. हिंदू पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाया गया ढांचा बताता है और इस जमीन पर भी दावा किया है. हिंदू पक्ष की ओर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और ये जमीन भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान को देने की मांग की गई है.
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