डीएनए हिंदी: ज्ञानवापी विवाद में जिला न्यायालय के फैसले के बाद ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने को खुलवाकर पूजा शुरू करवा दी गई है. इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंची मस्जिद कमेटी को झटका लगा है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूजा रुकवाने से इनकार कर दिया है. इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की अपील पर कहा था कि वह पहले हाई कोर्ट जाए. इस मामले में अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी.
अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने जिला कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. इस मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पूजा-पाठ पर अंतरिम स्थगन देने से इनकार कर दिया. साथ ही, एडवोकेट जनरल को आदेश दिए कि कानून और व्यवस्था बनाए रखी जाए. कोर्ट ने याचिकाकर्ता मस्जिद कमेटी से कहा है कि 6 फरवरी तक वह अपनी अपील में संशोधन करे.
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कोर्ट ने कहा है कि इस बात को देखा जाएगा कि रिसीवर की नियुक्ति करने में इतनी जल्दबाजी क्यों की गई. इससे पहले, मुस्लिम पक्ष के वकील ने कोर्ट में कहा कि 17 जनवरी को वाराणसी के डीएम की नियुक्ति की गई और 31 जनवरी को पूजा की अनुमति का आदेश पारित कर दिया गया. इस पर हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से कहा कि आपने 17 जनवरी के उस आदेश को चुनौती नहीं दी जिसमें रिसीवर नियुक्त करने की बात कही गई. 31 जनवरी का आदेश एक परिणामी आदेश है ऐसे में जब तक उस आदेश को चुनौती नहीं दी जाती तब तक इस अपील पर सुनवाई कैसे होगी.
मुस्लिम पक्ष ने बुलाया वाराणसी बंद
दूसरी तरफ, जिला अदालत के फैसले और तहखाने में पूजा शुरू करवाने के खिलाफ आज मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी बंद का आह्वान किया है. इस पर मुस्लिम पक्षकार ने कहा, 'हमें न्यायपालिका पर भरोसा लेकिन फैसले को लेकर मुस्लिम समाज में नाराजगी है. कोई प्रमाण नहीं है कि तहखाने में पूर्व में वहां पूजा-पाठ की परंपरा निभाई जाती थी. जबरदस्ती वहां पर मूर्ति रखकर पूजा पाठ की जा रही है. इस फैसले को लेकर बीते दो दिनों से व्यापार की बंदी का ऐलान किया है. इस बंदी को बढ़ाया भी जा सकता है.'
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वहीं, आज जुमे की नमाज के दिन ज्ञानवापी मस्ज़िद परिसर में नमाज़ पढ़ने के लिए जितने लोगों की क्षमता है, उतने नमाज़ी ज्ञानवापी पहुंच गए हैं. ऐसे में प्रशासन ने अब नमाज़ियों को ज्ञानवापी की तरफ जाने से रोक दिया है. काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी परिसर से 400-400 मीटर दोनों तरफ सड़क पर पुलिस ने बैरिकेडिंग करके मीडिया और नमाज़ियों को विवादित परिसर तक जाने से रोक रखा है. आम तौर पर ज्ञानवापी में 200-300 नमाज़ी ही आते हैं लेकिन आज कई गुना ज्यादा नमाज़ी परिसर में पहुंचे हैं.
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