Mohammad Zubair case: ऑल्ट न्यूज के मोहम्मद जुबैर को बड़ी राहत, अगली सुनवाई तक बढ़ी अंतरिम जमानत

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 12, 2022, 05:07 PM IST

ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर.

ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के ऊपर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है. यूपी में उनके खिलाफ केस दर्ज है.

डीएनए हिंदी: सीतापुर केस (Sitapur Case) में ऑल्ट न्यूज (Alt News) के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Mohammad Zubair) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ा दी है. मोहम्मद जुबैर ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अपने खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की अर्जी दी थी. इस केस की अगली सुनवाई 7 सितंबर को होने वाली है. मोहम्मद जुबैर को अगली सुनवाई तक गिरफ्तारी से राहत दी गई है.

मोहम्मद जुबैर पर आरोप है कि उन्होंने तीन दक्षिणपंथी नेताओं के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिए हैं. उन पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने का आरोप भी है. अभद्र भाषा के इस्तेमाल के आरोप में उनके खिलाफ 3 अलग-अलग केस चल रहे हैं. 

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सुप्रीम कोर्ट ने मुहम्मद जुबैर से क्या कहा?

ऑल्ट-न्यूज के सह-संस्थापक ने पहले मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर गिरफ्तारी से राहत हासिल की थी. शीर्ष अदालत ने अंतरिम जमानत का आदेश देते हुए कहा था कि जुबैर को सीतापुर अदालत के अधिकार क्षेत्र में रहना होगा और ट्वीट या किसी सबूत को नष्ट नहीं करना होगा.

मोहम्मद जुबैर के खिलाफ दर्ज हैं कितने केस?

33 वर्षीय मोहम्मद जुबैर के खिलाफ कुल 3 केस दर्ज हैं. एक केस दिल्ली में और दो उत्तर प्रदेश में दर्ज है. सीतापुर के अलावा यूपी के लखीमपुर खीरी में भी केस दर्ज कराया गया है. सोमवार को, लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) की एक स्थानीय अदालत (local court) ने मोहम्मद जुबैर को 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. कोर्ट ने राज्य पुलिस को उनकी हिरासत के अनुरोध को खारिज कर दिया था. इस केस की अगली सुनवाई बुधवार को होने वाली है. 

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क्या है पूरा केस?

यह केस मोहम्मद जुबैर के 2018 में किए एक आपत्तिजनक ट्वीट से जुड़ा है, उन पर आरोप है कि अपनी पोस्ट के जरिए उन्होंने एक हिंदू देवता का अपमान किया. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंद्र कुमार जांगला ने मामले की सुनवाई को बृहस्पतिवार तक के लिए स्थगित कर दिया. अभियोजन पक्ष ने मामले में विस्तृत जिरह के लिए समय मांगा था.

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