Target Killings: कश्मीर में टारगेट किलिंग रोकने को कल सख्त कदम उठा सकते हैं अमित शाह

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jun 03, 2022, 03:16 PM IST

अमित शाह और अजित डोभाल

कश्मीर में मोदी सरकार किसी भी कीमत पर टारगेट किलिंग को रोकना चाहती है. अमित शाह शुक्रवार को सख्त कदम उठा सकते हैं...

डीएनए हिन्दी: कश्मीर में एक के बाद एक हो रही टारगेट किलिंग को रोकने के लिए मोदी सरकार सख्त कदम उठा सकती है. सूत्रों की मानें तो मोदी सरकार किसी भी कीमत पर जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहती है. 

माना जा रहा है कि शुक्रवार को गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर ओवरऑल रिव्यू मीटिंग के दौरान सिविल और पुलिस प्रशासन को ठोस निर्देश दे सकते हैं. इस मीटिंग में नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजित डोभाल (Ajit Doval), जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा, सूबे के चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी भी शामिल होंगे.

गुरुवार को कुलगाम में बैंक मैनेजर विजय कुमार की हत्या के पीछे जम्मू-कश्मीर पुलिस लश्कर-ए-तैयबा का हाथ मान रही है. लेकिन, रक्षा एजेंसियां इसके लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को जिम्मेदार मान रही हैं. उनका मानना है कि इस तरह की निर्मम हत्याएं जैश वाले ही करते हैं.

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इस बीच जम्मू-कश्मीर पुलिस मैनेजर विजय कुमार और दो दिन पहले कुलगाम में ही मारी गईं टीचर रजनी बाला के हत्यारों खोज रही है. पुलिस को उम्मीद है जल्द ही उनको अंजाम तक पहुंचा दिया जाएगा. 

गृहमंत्री के हाई लेवल मीटिंग में यह भी फैसला हो सकता है कि राज्य में सरकारी कर्मचारियों की पोस्टिंग डिस्ट्रिक्ट हेडक्वॉर्टर से 30 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर न हो. 

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वर्तमान में बढ़ रहे टारगेट किलिंग का मकसद कश्मीर घाटी से अल्पसंख्यकों को बाहर करना है और मोदी सरकार पर दवाब बनना है.

माना जा रहा है कि कल की बैठक में अमित शाह प्रशासन को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर ज्यादा सतर्क रहने का निर्देश दे सकते हैं. जम्मू-कश्मीर पुलिस लोकल थाना को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए निर्देशित कर सकती है. राष्ट्रीय सुरक्षा प्लानर्स का मानना है कि 1980-90 के दशक में पंजाब में आतंकवाद इसलिए खत्म हो पाया क्योंकि वहां लोकल थाना को ज्यादा से ज्यादा इनवॉल्व किया गया है.

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रिव्यू मीटिंग में होम मिनिस्टर स्थानीय प्रशासन को अधिक विवेकपूर्ण और संवेदनशील तरीके से काम करने की सलाह भी दे सकते हैं. इसका मकसद होगा कि आतंकी अल्पसंख्यकों की पहचान आसानी से न कर पाएं और अल्पसंख्यक टारगेट किलिंग का शिकार न हो पाएं.

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