डीएनए हिंदी: समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) भारतीय जनता पार्टी (BJP) का एक प्रमुख चुनावी मुद्दा रहा है. बीजेपी की राजनीति यूनिफॉर्म सिविल कोड, अनुच्छेद 370 और राम मंदिर के इर्द-गिर्द हमेशा से घूमती रही है. बीजेपी अपने कई मेनिफेस्टो में इस योजना को लागू करने की बात दोहरा चुकी है. बीजेपी सरकार पहले ही अनुच्छेद 370 को हटाने का काम पूरा कर चुकी है और राम मंदिर का निर्माण भी चल रहा है.
अब बीजेपी का ध्यान पूरी तरह यूनिफॉर्म सिविल कोड पर है. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2024 के आम चुनाव के लिए सबसे बड़ा एजेंडा तय किया है.
क्या बीजेपी ने तय कर लिया है 2024 का चुनावी एजेंडा?
अब बीजेपी के लिए सबसे बड़ा मुद्दा देश में समान नागरिक संहिता को लागू करना है. UCC नियमों का एक समूह है जो हर धर्म, वर्ग और जाति पर समान रूप से लागू होता है.बीजेपी इस दिशा में काम कर रही है. अब पार्टी इस मुद्दे को अगले साल होने वाले आम चुनाव का प्रमुख एजेंडा बना सकती है.
Uniform Civil Code: क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड, लागू करने में क्या हैं चुनौतियां, क्यों हिचकती है सरकारें?
अमित शाह के समान नागरिक संहिता पर बयान का मतलब क्या?
गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कई मौकों पर परोक्ष रूप से समान नागरिक संहिता के बारे में कहा है. पहली बार अमित शाह ने कोल्हापुर में एक मंच से कहा कि देश में बीजेपी शासित राज्य यूसीसी की ओर बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस घोषणा से बीजेपी के विरोधी काफी आहत हैं.
गुजरात और उत्तराखंड जैसे राज्य समान नागरिक संहिता की दिशा में पहले से ही काम कर रहे हैं. ऐसा हो सकता है कि निकट भविष्य में ये राज्य यूनिफॉर्म सिविल कोड अपना लें. जब भी कोई अदालत समान नागरिक संहिता की संभावना के बारे में पूछती है तो सरकार हर बार कानून मंत्रालय का हवाला देती रही है. यह मुद्दा बीजेपी के वैचारिक विकास के केंद्र में रहा है.
UCC लागू करने से क्या हिचकेगी बीजेपी?
बीजेपी विरोधी दलों के विरोध के बावजूद जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाने में कामयाब रही है. यह विपक्ष के विरोध के बावजूद तीन तलाक के खिलाफ कानून भी लाया है. इसलिए, यूसीसी के बारे में अमित शाह का बयान इशारा कर रहा है कि यह मुद्दा बीजेपी के प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक हो सकता है.
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क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
संविधान का अनुच्छेद 44 कहता है कि नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता (Uniform Civil Code) होनी चाहिए. अनुच्छेद 44 के मुताबिक, 'राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता प्राप्त करने का प्रयास करेगा.' अगर व्याख्या के लिए गुंजाइश बचे तो सुविधानुसार इसका दुरुपयोग हो सकता है. किसी भी सरकार ने एक समान सिविल संहिता बनाने का साहस नहीं लिया.
अगर समान नागरिक संहिता लागू हो जाए तो क्या होगा?
अगर समान नागरिक संहिता लागू हो जाए तो सभी धर्मों के व्यक्तिगत कानून खत्म हो जाएंगे. अभी हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लिए अलग-अलग नियम हैं. मुस्लिम शरियत कानून को मानते हैं. इसका संहिताकरण द मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट, 1937 के तौर पर किया गया है.
मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम, 1939 के मुताबिक एक मुस्लिम पुरुष को बिना पहली पत्नी की सहमति के 4 शादियां करने की इजाजत है. तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह जैसी कुप्रथाओं को लेकर आए दिन बहस होती है. केंद्र सरकार ने अब तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित कर दिया है.
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