Aligarh Muslim University: सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 7 जजों की संविधान पीठ ने इस फैसले में 4-3 के बहुमत से 1967 के उस पुराने निर्णय को खारिज कर दिया है, जो AMU के अल्पसंख्यक दर्जे पर सवाल खड़ा करता था. इस मामले में 4 जजों ने AMU के अल्पसंख्यक दर्जे को समर्थन दिया, जबकि तीन जजों की राय असहमति में थी. अब यह मामला तीन जजों की नई बेंच के पास भेजा गया है, जो AMU की अल्पसंख्यक स्थिति पर लास्ट निर्णय करेगी.
SC ने कही ये बात
यह निर्णय उस विवाद पर आधारित है जो 2006 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद शुरू हुआ था. हाई कोर्ट ने 1981 के उस संशोधन को अवैध घोषित किया था, जिसमें AMU को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस निर्णय की समीक्षा की जाएगी ताकि यह साफ किया जा सके कि AMU का अल्पसंख्यक दर्जा बने रहना चाहिए या नहीं.
CJI ने अपने फैसले में साफ किया कि संविधान का अनुच्छेद 30 धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को अपने शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने का अधिकार देता है. हालांकि, इस अनुच्छेद के तहत प्रदत्त अधिकार पूर्ण नहीं हैं और अनुच्छेद 19 (6) के अंतर्गत सरकार इस पर कंट्रोल रख सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों की गारंटी के बावजूद, सवाल यह उठता है कि क्या इसके साथ कुछ विशेष अधिकार भी जोड़े गए हैं या नहीं.
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इस सन में हुई थी AMU की स्थापना
AMU की स्थापना 1875 में सर सैयद अहमद खान ने मुस्लिम समुदाय के लिए एक शैक्षणिक संस्थान के रूप में की थी, जिसे बाद में 1920 में विश्वविद्यालय का दर्जा दे दिया गया. 1981 के संशोधन के बाद इसे अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया गया. इस फैसले के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मामले की समीक्षा के लिए सभी कागजात तीन जजों की नई बेंच के समक्ष रखे जाएंगे, जो कि एएमयू की स्थिति पर विचार कर इस मुद्दे का समाधान करेगी.
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