Andhra Pradesh: तिरुमला मंदिर में गैर हिंदू कर्मचारी की छुट्टी ? TTD बोर्ड का बड़ा फैसला, जानें पूरा मामला

Written By राजा राम | Updated: Nov 19, 2024, 02:04 PM IST

तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ने मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए TTD बोर्ड के नए अध्यक्ष ने गैर-हिंदू कर्मचारियों को अन्य विभागों में भेजने या VRS देने का निर्णय लिया है.

आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति के प्रसिद्ध भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में अब केवल हिंदू कर्मचारियों को काम करने की अनुमति दी जाएगी. तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) बोर्ड के नए अध्यक्ष बीआर नायडू ने गुरुवार को यह ऐलान किया. उन्होंने कहा कि मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए गैर-हिंदू कर्मचारियों को अन्य विभागों में स्थानांतरित किया जाएगा या उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) का विकल्प दिया जाएगा. 

पवित्रता बनाए रखना प्राथमिकता
टीटीडी बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया, जिसमें अध्यक्ष नायडू ने कहा, 'हम सुनिश्चित करेंगे कि तिरुमला में काम करने वाला हर व्यक्ति हिंदू हो. यह एक धार्मिक संस्था है और मंदिर की पवित्रता बनाए रखना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है.'

गैर-हिंदू कर्मचारियों की समीक्षा
मंदिर प्रशासन के अनुसार, वर्ष 2018 की रिपोर्ट में बताया गया था कि टीटीडी में 44 गैर-हिंदू कर्मचारी हैं.अब इनकी संख्या का आंकलन किया जाएगा. नायडू ने स्पष्ट किया कि इन कर्मचारियों को राज्य सरकार को सौंपने या वीआरएस का प्रस्ताव देने के लिए जल्द ही सरकार से चर्चा की जाएगी. 

प्रसाद की गुणवत्ता पर कड़ी नजर
गैर-हिंदू कर्मचारियों के मुद्दे के अलावा, बोर्ड ने मंदिर में प्रसादम की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए हैं.बताते चलें  'लड्डू प्रसादम' में इस्तेमाल होने वाले घी की शुद्धता पर विवाद के बाद, टीटीडी ने गुणवत्ता जांच के लिए एक विशेष समिति गठित करने का निर्णय लिया है. इसके अलावा, अन्न प्रसादम परिसर में भक्तों के लिए मुफ्त भोजन के मेन्यू में एक नया स्वादिष्ट व्यंजन जोड़ा जाएगा. 


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पिछली सरकार पर अनियमितताओं के आरोप
मीडिया से बातचीत करते हुए बीआर नायडू ने वाईएसआर कांग्रेस सरकार पर मंदिर प्रशासन में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए कहा कि उनका उद्देश्य इन खामियों को सुधारना और मंदिर की गरिमा बनाए रखना है. उन्होंने इसे अपना सौभाग्य बताया कि उन्हें इस जिम्मेदारी के लिए चुना गया है.  तिरुमला में टीटीडी बोर्ड का यह कदम हिंदू धार्मिक स्थलों की परंपराओं को सख्ती से लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है. 

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